नापाक हैं केजरीवाल !

By: May 10th, 2017 12:05 am

सवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बोलती बंद का ही नहीं है। सवाल नैतिकता, पारदर्शिता, जवाबदेही और शुचिता का है। सवाल यह भी है कि केजरीवाल वैकल्पिक राजनीति और व्यवस्था लाना चाहते थे या वैकल्पिक भ्रष्टाचार के मूक पैरोकार बनना चाहते थे? केजरीवाल ने अपने ही स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से दो करोड़ रुपए नकद लिए थे या नहीं? राशि किस मद में ली गई? केजरीवाल कैबिनेट में तब तक पर्यटन एवं जल संसाधन मंत्री रहे कपिल मिश्रा के आरोपों को यूं ही कैसे खारिज किया जा सकता है? कपिल भी केजरीवाल की ‘कोटरी’ के ही सदस्य थे। कैबिनेट की सामूहिक जिम्मेदारी के तहत कपिल तमाम फैसलों, विमर्शों और गतिविधियों के साक्ष्य भी थे। सवाल यह है कि आरोप किसी भाजपा, कांग्रेस ने नहीं लगाए या प्रधानमंत्री मोदी ने कोई नई चाल नहीं चली थी। तो केजरीवाल अपने ही मंत्री (अब पूर्व) की चश्मदीदी गवाही पर बोलते क्यों नहीं? हम किसी आरोप या लेन-देन की पुष्टि नहीं करते, वह जांच का विषय है, लेकिन दिल्ली के छतरपुर में सात एकड़ फार्महाउस की 50 करोड़ रुपए में जो डील कराने का आरोप है, लोक निर्माण विभाग में 10 करोड़ के फर्जी बिलों को सही करने का जो आरोप है, उसके जवाब तो देने ही होंगे। वह कथित सौदा किसी और ने नहीं, स्वास्थ्य मंत्री जैन ने मुख्यमंत्री के साढ़ू बंसल के परिवार के लिए कराया था या नहीं? यह जवाब भी केजरीवाल को देना है या फिर जांच एजेंसियां देंगी। केजरीवाल इन संगीन और आर्थिक दुराचार के आरोपों पर भी खामोश हैं, जबकि मंदिर मार्ग थाने में प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है। सवाल इससे दबाया नहीं जा सकता कि एक आरोपी दिवंगत है या जीवित है। केजरीवाल पर अपनी सरकार की सालगिरह मनाने वाले समारोह में 16,000 रुपए की भोजन की थाली परोसने के भी आरोप हैं। मानहानि के निजी मामले में उन्होंने प्रख्यात वकील राम जेठमलानी को तीन-चार करोड़ रुपए की फीस सरकारी कोष से दिलाई। आम आदमी पार्टी (आप) की अपनी वेबसाइट ही बंद कर दी गई है। ‘आप’ ने अपना वित्तीय हिसाब देना भी बंद कर दिया है। क्या शुंगलू कमेटी के आरोपिया निष्कर्ष गंभीर नहीं हैं? मुख्यमंत्री जी ! आपको प्रिय मंत्री सत्येंद्र जैन की हकीकत भी पता होगी। उनके खिलाफ मनी लॉडिं्रग और हवाला कारोबार के गंभीर आरोप हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने उनकी संपत्ति भी जब्त की है। क्या इतने सारे आरोपों और भ्रष्ट आचरण के बावजूद केजरीवाल ‘सत्यवादी हरिश्चंद्र’ बने रह सकते हैं? क्या अब भी वह खुद को मासूम और भोला, ईमानदार और पाकसाफ मानते हैं? ऐसे सवालों के जवाब भी खुद केजरीवाल को देने होंगे। महज मानसिक संतुलन बिगड़ने और पूर्व मंत्री की बौखलाहट का उल्लेख करना ही पर्याप्त नहीं है। सभी को ‘चोर’ करार देने से ही केजरीवाल ‘दूध के धुले’ साबित नहीं हो सकते। लोकतंत्र अपने नेताओं और खासकर पदासीन संवैधानिक हस्तियों की ‘बोलती बंद’ को ही स्वीकार नहीं करता, सफाई और सच्चाई भी बेहद अहम हैं। केजरीवाल को अपने नापाक धब्बों को धोना ही पड़ेगा। हवा के झोंके विपरीत दिशा में बहने लगे हैं। जिस सोशल मीडिया पर केजरीवाल और उनकी ईमानदारी ‘महानायक’ हुआ करते थे, आज उसी पर वही आम आदमी थू-थू कर रहा है, मजाक उड़ा रहा है, जिसने केजरीवाल को सड़क से उठाकर मुख्यमंत्री के सिंहासन पर बिठाया था। जवाब केजरीवाल को ही देने हैं, सच्चाई केजरीवाल को ही स्थापित करनी है, क्योंकि मामला सीबीआई के पास तक जा रहा है। कपिल मिश्रा को मंगलवार 11.30 बजे सीबीआई मुख्यालय में उपस्थित होना है। तमाम सबूतों के साथ वह ‘गवाह’ बनना चाहेंगे। सवाल है कि यदि सीबीआई ने प्राथमिक जांच दर्ज कर ली और प्रवर्तन निदेशालय की जंजीरें सत्येंद्र जैन तक पहुंच गईं, तो न केवल केजरीवाल का करियर दागदार होगा, बल्कि ‘आप’ भी बिखरने के मुहाने तक आ सकती है। आरोप चारों ओर से बौछार कर रहे हैं। क्या केजरीवाल चुप रहकर यह साबित करना चाहते हैं कि वह नापाक नहीं हैं?

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