नाभिकीय ऊर्जा के प्रयोग पर ज्ञान

By: May 30th, 2017 12:01 am

कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में मंथन

पालमपुर —  वर्तमान समय में मनुष्य हित के लिए नाभिकीय ऊर्जा के उपयोगों के बारे में सभी सहभागियों व आम जनता को जागरूक करना नितांत आवश्यक है। खाद्य फसलों के सुधार, भोजन परीक्षण, भूमिगत स्रोतों का पता लगाने, चिकित्सीय उपकरणों के विसंक्रमण, हार्मोन विश्लेषण तथा एक्स-रे, औद्योगिक प्रक्रियाओं के नियंत्रण तथा वातावरण प्रदूषण के अध्ययन के लिए विकिरण समस्थानिक व नियंत्रित विकिरणों का उपयोग हो रहा है। ये शब्द वैश्विक नाभिकीय ऊर्जा साझेदारी केंद्र तथा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम में मुख्यातिथि कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने कहे। प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में खाद्य पदार्थों, वातावरण, स्वास्थ्य देखभाल तथा उद्योगों में विकिरण समस्थानिक व विकिरण प्रौद्योगिकी के उपयोगों पर दो दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आगाज सोमवार को हुआ। भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के वैश्विक नाभिकीय ऊर्जा साझेदारी केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक व विभागाध्यक्ष डा. ललित वाष्र्णेय ने कहा कि सामान्यता लोग नाभिकीय ऊर्जा को बम तथा विद्युत उत्पादन के साथ ही जोड़ते हैं। हालांकि इस प्रौद्योगिकी के साथ अरबों डालर के कारोबार जुड़े हुए हैं तथा प्रौद्योगिकी ने भयावह रोगों से करोड़ों लोगों की जान बचाने में भूमिका निभाई है। देश में इस समय 22 न्यूक्लियर रिएक्टर हैं, जिसमें विद्यार्थी इसमें अपना करियर तलाश कर सकते हैं।

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