निर्भया के दोषी दया लायक नहीं

By: May 6th, 2017 12:08 am

newsnewsनई दिल्ली— पूरे देश को झकझोर देने वाले दिल्ली गैंगरेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले के दोषी अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश की फांसी की सजा कायम रखी है। तीनों जजों ने  हाई कोर्ट के फैसले को कायम रखते हुए सर्वसम्मति से यह फैसला लिया। पूरे देश की इस फैसले पर नजर थी और शुक्रवार को फैसला आते ही कोर्ट रूम तालियों से गूंज उठा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से यही संदेश देने की कोशिश की है कि इस तरह के बर्बरतापूर्ण अपराध के लिए नरमी की कोई गुंजाइश नहीं है। कोर्ट ने माना कि दोषियों को पता है कि उन्होंने कितनी वहशियाना हरकत की है। इस वारदात की वजह से देश में शॉक की सूनामी आ गई थी। कोर्ट ने जैसे ही फैसला सुनाया तो निर्भया के मां-बाप और अन्य लोगों ने कोर्ट में तालियां बजाईं। जस्टिस दीपक मिश्रा ने विस्तार से फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि इस केस ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। कोर्ट ने माना कि इस मामले में बचाव पक्ष की दलीलें अपराधियों को बचाने के लिए पर्याप्त नहीं थीं। फैसले के बाद निर्भया के पिता ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से इनसाफ की पूरी उम्मीद थी और सही मायने में अब सुप्रीम इनसाफ हुआ है। निर्भया के साथ-साथ समाज व देश को न्याय मिला है। वहीं, निर्भया की मां ने कहा कि यह फैसला सिर्फ हमारा नहीं था। यह फैसला पूरे समाज का था। मैं सभी का धन्यवाद करती हूं। आज निर्भया को इनसाफ मिला। नाबालिग दोषी के छूटने पर निर्भया की मां ने कहा कि उन्हें यह गम पूरी जिंदगी रहेगा। वहीं, बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है। हर शख्स को जीने का अधिकार है। वकील के मुताबिक, जिसने जिंदगी दी है, उसे ही वापस लेने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि मात्र समाज में मैसेज देने के लिए मौत की सजा नहीं दी जा सकती। हम फैसले की कॉपी पढ़ने के बाद रिव्यू पिटीशन दाखिल करेंगे। गौर हो कि 16 दिसंबर, 2012 की रात देश की राजधानी दिल्ली में छह लोगों ने 23 साल की मेडिकल स्टूडेंट के साथ चलती बस में गैंगरेप किया था। दोषियों में एक 17 साल का नाबालिग भी शामिल था। 29 दिसंबर को पीडि़त की मौत हो गई। ट्रायल के दौरान एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगा ली थी, जबकि छठा आरोपी नाबालिग था, जिसे तीन साल तक जुवेनाइल होम में रखने का आदेश दिया गया था। बाकी चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है।

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