पीएम मोदी कुछ तो बोलें !

By: May 4th, 2017 12:05 am

प्रधानमंत्री मोदी! आप खामोश क्यों हैं? क्या प्रधानमंत्री चुप्पी साधने को ही होते हैं? क्या आपने पंजाब के तरनतारन इलाके में शहीद परमजीत सिंह के अंतिम संस्कार के दौरान आर्तनाद को सुना है? शहीद के परिजनों का विलाप देखा है? हिंदोस्तान उबल और खौल रहा है, क्या यह एहसास आपको है? सड़कों पर आंदोलित भीड़ है। उसने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख बाजवा के पुतले फूंके हैं। भीड़ पाकिस्तान के झंडे पर जूते मार रही है और उसे जला दिया गया है। इस रोष-आक्रोश की पूरी सूचना आप तक है? शहीद की बेटी ने मांग की है कि एक सिर के बदले 50 सिर काटकर लाओ। देवरिया में शहीद प्रेमसागर के परिजन ‘बिना सिर के पार्थिव शरीर’ का अंतिम संस्कार न करने पर ही अड़े रहे। शोकाकुल भीड़ के आंसू भी बह रहे हैं, लोग गमजदा हैं, लेकिन बार-बार एक ही सवाल-‘सरकार पाकिस्तान के साथ कौन सा और कब युद्ध छेड़ेगी?’ हमें शहादत के बदले के बयान नहीं सुनने। देश को अपने मजबूत प्रधानमंत्री से सार्वजनिक आश्वासन चाहिए कि पाकिस्तान को कब ठोका जाएगा? मोदी जी! आप सामान्य प्रधानमंत्री नहीं हैं। पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की तरह पराश्रित भी नहीं हैं। एक सिर के बदले 10 सिर काटकर लाने का बयान आपकी पार्टी भाजपा के भीतर से ही गूंजा था। छाती पर बार-बार हाथ मारकर आप 56 इंच के सीने का दावा करते थे। आक्रोश और गम के इस माहौल में हम अपने प्रधानमंत्री को कठघरे में खड़ा करना नहीं चाहते, बल्कि एहसास दिलाना चाहते हैं कि देश को मोदी की पाकिस्तान नीति की दृढ़ता का आभास हुआ था, नतीजतन उन्हें एक उम्मीदजदा प्रधानमंत्री के तौर पर चुना गया। प्रधानमंत्री जी! आज पुराने सैन्य जनरल भी आपकी कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति की बात कर रहे हैं, उस पर सवाल उठा रहे हैं। क्या आप भी एक ‘पोपले प्रधानमंत्री’ कहलाना पसंद करेंगे? पूर्व जनरलों का आकलन है कि पीओके पर सर्जिकल स्ट्राइक का प्रयोग अपेक्षाकृत नाकाम रहा, क्योंकि पाकिस्तान लगातार हमलावर बना रहा है। कश्मीर वाली सरहद से घुसपैठ करीब 200 फीसदी बढ़ी है, हमारे रक्षा संस्थानों पर 10 बड़े हमले हो चुके हैं। संसद, लालकिला के बाद पाकपरस्त आतंकी पठानकोट, उड़ी और ऊधमपुर तक भी पहुंच गए हैं। ये आंशिक जंग के संकेत नहीं हैं, तो क्या है? इन हालात में भी प्रधानमंत्री मोदी खामोश क्यों हैं? हम यह नहीं कह सकते कि दूसरी बार व्यापक तौर पर सर्जिकल स्ट्राइक न की जाए, लेकिन फिलहाल देश के लोग उग्र और गुस्से में तमतमाए हैं। देश के लोग अपने प्रधानमंत्री से नाराज नहीं हैं, लेकिन एक आह्वान की अपेक्षा करते हैं।  जब शहीद की विधवा पत्नी को अपने बच्चों के रहन-सहन, पालन-पोषण, पढ़ाई और नौकरी की चिंता सताने लगती है, तो हालात समझ में आते हैं। अभी तो शहीद की चिता भी ठंडी नहीं हुई है, तब एक विधवा को ऐसे सवाल उठाने पड़ें, तो प्रधानमंत्री के अलावा कौन जवाब दे सकता है और अपने आश्वासनों से शोकाकुल परिजनों को संतुष्ट और शांत कर सकता है? परमजीत और प्रेमसागर देश की सुरक्षा और उसके सम्मान के लिए ‘शहीद’ हुए हैं, लिहाजा उनकी मौत के बाद उनके परिवारों की देखभाल भी एक राष्ट्रीय दायित्व है। इसका विश्वास तो प्रधानमंत्री ही दिला सकते हैं। मोदी जी! आप चुप रहने वाले प्रधानमंत्री नहीं हैं। आपको देश चुप नहीं रहने देगा। प्रधानमंत्री जी! आपको बोलना ही पड़ेगा। आप अन्य मंचों से आतंकवाद की बात बोल रहे हैं। वह आपकी पदेन औपचारिकता है। प्रधानमंत्री मोदी जी! बेशक सैन्य आपरेशन और उनकी रणनीतियों का आप खुलासा न करें, लेकिन देश को भरोसा तो दिलाएं कि 56 इंच के सीने वाला प्रधानमंत्री अभी मौजूद है और हमारे सैनिक ‘50 सरकलम’ करके लाने में सक्षम हैं। हम मानते हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान हमारे 527 जवान ‘शहीद’ हो गए थे, लेकिन व्यापक और पूरे युद्ध की नौबत तब भी नहीं आई। युद्ध अंतिम परिणति है। लिहाजा ‘शहीदों’ के सरकलम या क्षत-विक्षत शरीरों की घटनाओं पर ही जंग छिड़ना संभव नहीं है, लेकिन सिंधु का पानी रोकने की बात तो कर सकते हैं। प्रधानमंत्री जी! पाकिस्तान का पानी रोकिए, उसे प्यासा मरने दें, उसकी खेती सड़ने दें, यदि इस काम में आपको देश के 130 करोड़ लोगों का भी सहयोग चाहिए, तो वे कुदाल और फावड़ा लेकर आ सकते हैं, लेकिन पानी रुकना चाहिए। पाकिस्तान कोई तो सबक सीखे। दरअसल जो मुल्क बारूद की भाषा समझता है, वह बात के मर्म और महत्त्व को क्या समझेगा? लिहाजा प्रधानमंत्री जी! पाकिस्तान से बातचीत बंद करें, उच्चायोग को सीमित करें, उच्चायुक्त को वापस भारत बुला लें। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ‘चूहे-बिल्ली का खेल’ सरीखा मुहावरा इस्तेमाल करते हैं या प्रधानमंत्री को चूडि़यां भेजने का सवाल उठाते हैं। उन्हें भौंकने दीजिए, लेकिन आप देश को संबोधित करते हुए दिलासा दिलाएं कि सरकार निकम्मी नहीं है, सेना के हाथ बंधे हुए नहीं हैं, सरकलम जरूर होगा, लेकिन प्रधानमंत्री और सेना को कुछ वक्त दीजिए। यह देश एक बार फिर प्रतीक्षा करेगा।

विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं? निःशुल्क रजिस्टर करें !


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App