फसलों के लिए जरूरी हैं मित्र कीट

By: May 17th, 2017 12:01 am

नौणी में कीट-खरपतवार के जैविक नियंत्रण पर बंटा ज्ञान

नौणी — डा. वाईएस परमार विश्वविद्यालय नौणी में फसल, कीट एवं खरपतवार के जैविक नियंत्रण पर 26वीं अखिल भारतीय समूह बैठक का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व राष्ट्रीय कीट संसाधन ब्यूरो बंगलूर के सौजन्य से किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. हरि चंद शर्मा ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। बैठक में देशभर के 30 केंद्रों के लगभग 60 वैज्ञानिकों ने भाग लिया। कुलपति डा. हरि चंद शर्मा ने इस दौरान बताया कि जिस वातावरण में फसल उगाई जाती है, का मित्र कीटों पर प्रभाव होता है। अतः जैविक नियंत्रण इन बातों का ध्यान रखकर किया जाना चाहिए और इन कीटों की बायोसेफ्टी पर काम करने की जरूरत है। इस दौरान कुलपति डा. हरि चंद शर्मा ने विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा प्रकाशित पत्रिकाओं (कैलेंडर, सफलता की कहानियों) का विमोचन किया। सहायक महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद डा. पीके चक्रवर्ती ने जैविक नियंत्रण पर की गई शोध को पैकेज-प्रैक्टिस में सम्मिलित किए जाने पर बल दिया। इस परियोजना के पूर्व निदेशक डा. आरजे रविंद्रा ने जैविक नियंत्रण को किसानों में लोकप्रिय बनाने का आश्वासनप दिया। पूर्व कुलपति केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय एवं अनुसंधान सलाहकार समिति के अध्यक्ष डा. एसएन पुरी  ने जैविक नियंत्रण में काम आने वाले कीटों की सही जानकारी व उत्पादन पर जानकारी हससिल करने पर बल दिया।  इस मौके पर सहायक निदेशक पौध संरक्षण डा. पीके चक्रवर्ती, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. एसएन पुरी, रामचुर कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. बीवी पाटिल, राष्ट्रीय केंद्रीय एकीकृत कीट प्रबंधन संस्थान के निदेशक डा. डीबी आहूजा, डा. हजारिका, राष्ट्रीय कीट संसाधन ब्यूरो बंगलूर के डा. एसके जलाली व डा. जोशी सहित विश्वविद्यालय के बागबानी महाविद्यालय के डीन डा. जेएन शर्मा, डा. पवन महाजन, डा. राकेश गुप्ता, डा. अनिल सूद सहित विभिन्न अधिकारी मौजूद रहे।

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