बंधे हाथ खोल दो, दुश्मन को साफ कर देंगे

By: May 29th, 2017 12:05 am

संतोषगढ़ —  वर्तमान समय में संतोषगढ़ के बाल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आटॉमोबाइल शिक्षक सेवाएं दे रहे जिला मंडी के सेवानिवृत्त सूबेदार मेजर कैप्टन शमशेर सिंह का खून कश्मीर में पत्थरबाजों एवं आतंकवादियों की हरकतों को देखकर आज भी खोल उठता है। पत्थरबाजों व आतंकवादियों की हरकतोें को देख आज भी शमशेर सिंह  हाथों में एक बार फिर से बदूंक उठाकर दुश्मनों को सबक सिखाने का जज्बा मन में रखते हैं। उन्होने कहा कि अगर सरकार उनको फिर से आदेश देती है तो वह दुश्मनों से लोहा लेने के लिए बार्डर पर जाने के लिए बेताव हैं। मंडी में गांव टिक्करी में 1964 में तानी राम के घर जन्मे शमशेर सिंह 26 जनवरी, 1983 में हिमाचल के भांवला में ईएमई में भर्ती हुए और उनकी दो साल की ट्रेनिंग सिंकदराबाद में हुई। उसके बाद 1985 में वह सीआई के आपरेशन में नागालैंड चले गए, जिसके उपरांत 1988 में हरियाणा के हिसार में, फिर 1992 में गुजरात के बाद 1996 में लेह-लद्दाख में सेवाएं दीं। 1997 में रूड़की में सेवाएं देने के उपरांत 1999 में कारगिल आपरेशन में भी रहे। मेजर शमशेर सिंह 2000 में फिर वापस नागालैंड गए व 2002 में पंजाब के बठिंडा, 2006 में जम्मू-कश्मीर और 2010 में झांसी में रहे। वहीं, 2011 में बीकानेर अपनी सेवाएं देने के बाद 2014 में लेह-लद्दाख से सेवानिवृत्त हुए। सूबेदार मेजर हॉनी कैप्टन शमशेर सिंह ने कहा कि जब भी देश में आतंकवादी हमला होने की सूचना उनको मिलती है तो उनका खून खोल उठता है और फिर से देश सेवा की लिए आगे आने की चाह रहती है। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों की क्रुरता का जवाब उनकी भाषा में देना चाहिए, ताकि वह फिर से भारत की तरफ आंख उठाकर न देख सकें। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों और कश्मीर के पत्थरबाजों के साथ जरा भी नरमी नहीं बरतनी चाहिए। केंद्र सरकार को इसके बारे में ठोस कदम उठाने चाहिएं, जिससे देश में अमन व शांति कायम रहे।

पत्थरबाजों पर चले देशद्रोह का केस

सूबेदार मेजर कैप्टन शमशेर सिंह ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि आतंकवादियों के सीमा पार प्रशिक्षण कैंप ध्वस्त कर देने चाहिए। आतंकवादियों को पनाह देने वालों और पत्थरबाजों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाँिहए। देश सेवा करने वाले सैनिकों पर पत्थर मारने वाले देशद्रोही हैं।

पत्थरबाज छात्रों को देखकर दुखी

सूबेदार मेजर कैप्टन शमशेर सिंह कश्मीर के पत्थरबाज छात्रों से दुखी हैं। उनका मानना है कि इन छात्रों को बहकाया जा रहा है। स्थानीय सरकार को कारगर कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि जो भी पत्थर भारतीय सैनिकों को लगता है, उसकी सीधी चोट परिजनों के दिल को लगती है।

यह उम्मीद है सरकार से

देश में बढ़ रहे आतंकवाद को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार को सेना को खुली छूट दे देनी चाहिए, ताकि आतंकवाद का जड़ से ही खात्मा किया जा सके। उन्होंने कहा कि कई बार हमारी सेना के जवान नियमों में बंधे होने के कारण दुश्मन की कार्रवाई का उचित जवाब नहीं दे पाते हैं, लेकिन केंद्र सरकार को आतंकवादी गतिविधियों पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाने के लिए सैन्य कार्रवाई अमल में लानी चाहिए।

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