बिना डाक्टर कुल्लू का आर्थो वार्ड खाली

By: May 9th, 2017 12:08 am

सिविल हास्पिटल में दोनों पद खाली होने से मंडी-शिमला रैफर किए जा रहे मरीज

newsकुल्लू – तीन जिलों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने वाले क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में सरकार ने हड्डी रोग के मरीजों का उपचार करने के लिए पूरा तामझाम तो किया है और उपचार करवाने को दो विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद भी सृजित किए हैं, लेकिन ये दोनों पद खाली होने के कारण मरीजों को निजी क्लीनिकों के साथ-साथ मंडी, शिमला और चंडीगढ़ जाकर उपचार करवाना पड़ रहा है। विभागीय अधिकारियों की दलील है कि वे आर्थो विशेषज्ञ के खाली पडे़ दो पदों को भरने के लिए निदेशालय को तीन बार लिखित रूप में भेज चुके हैं और निदेशालय से मंडी क्षेत्रीय अस्पताल से आर्थो पैडिक डॉक्टर को डेपुटेशन पर भेजने के आदेश दिए हैं, लेकिन दो सप्ताह बीत जाने के बाद भी यहां कोई डाक्टर डेपुटेशन पर नहीं आया, जिसके चलते मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

25 बैड और नाममात्र ही मरीज

क्षेत्रीय अस्पताल के आर्थो वार्ड में मरीजों का उपचार करने के लिए 25 बैड लगाए गए हैं और तीन बैड इसके अतिरिक्त भी लगाए हैं जिसके चलते आर्थो वार्ड के दो हालों में 28 बैड लगाए गए हैं उनमें सिर्फ दो ही मरीज दाखिल किए गए हैं, लेकिन उनमें से 26 बैड खाली पडे़ हुए हैं। दाखिल दो मरीजों का उपचार भी अन्य डॉक्टर ही कर रहे हैं। गौरतलब है कि इस वार्ड में 15 बैड़ पुरूष मरीजों के लिए लगाए गए हैं जबकि 10 बैड़ महिला मरीजों के लिए लगाए हैं। तीन अन्य बैड अतिरिक्त भी लगाए हैं।उधर, एमएस क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू डॉ. कंवरजीत सिंह का कहना है कि अस्पताल की ओर से खाली पडे़ आर्थोपैडिक विशेषज्ञों के पदों को भरने के लिए तीन बार निदेशालय से पत्राचार हो चुका है। हालांकि निदेशालय से मंडी अस्पताल से डॉक्टर डेपुटेशन पर तैनात करने के निर्देश जारी किए हैं लेकिन अभी तक कोई भी डॉक्टर नहीं आया है।

डाक्टर थे तो फुल होता था वार्ड

वार्ड में लगे एडमिशन रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार जब तक क्षेत्रीय अस्पताल में दो आर्थोपैडिक डाक्टर थे तब यह वार्ड मरीजों से पूरी तरह से भरा रहता था और कई बार अतिरिक्त बैड लगाने की जरूरत पड़ती थी लेकिन डाक्टरों के स्थानांतरण के बाद मरीजों की संख्या लगातार घटती गई है और अब आलम यह है कि वार्ड में सिर्फ दो ही मरीज उपचाराधीन हैं।

बिना डाक्टर यह कैसा अस्पताल

मुकेश, आलम चंद, सोहन सिंह, भवानी दत्त, सूरज कुमार का कहना है कि कहने को तो क्षेत्रीय अस्पताल है लेकिन अस्पताल में आर्थोपैडिक के दो पद सृजित होने के बाद भी डॉक्टर तैनात नहीं है। उनका कहना है कि ये कैसा क्षेत्रीय अस्पताल जहां हड्डी रोगी विशेष का उपचार ही नहीं होता।

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