बीपीएल का मोह

By: May 8th, 2017 12:05 am

(महक भड़वाल, कोपड़ा, नूरपुर)

भोरंज उपमंडल में पंचायतों के आदेश के बाद कुछ परिवारों के बच्चे निजी स्कूलों से सरकारी विद्यालयों में आ गए, लेकिन बीपीएल के तहत मिलने वाले लाभ से उनका मोह नहीं छूटा। यह घटना एक और विडंबना के रूप में हमारे समक्ष खड़ी है कि लोगों के दिमाग पर सरकारी योजनाओं के लाभ का खुमार किस कद्र सवार है। इस लालची व भ्रष्ट मानसिकता के कारण समाज के कई पात्र परिवार सरकारी योजनाओं के तहत निर्धारित सुविधाओं  से वंचित हैं। यह जांच का विषय है कि जो लोग बीपीएल सूची में होते हुए भी अपने बच्चों को महंगे और तथाकथित मॉडर्न स्कूलों में पढ़ा रहे थे, वह वास्तव में हैं कितने कंगाल। अब अगर इन परिवारों द्वारा बच्चों को निजी स्कूलों से हटाना खबर बन रहा है, तो बीपीएल सूची के लिए इनका चयन करने वाली मंडल ने इनकी वास्तविक आर्थिक स्थिति जानने की जहमत क्यों नहीं उठाई? इससे भी बढ़कर हैरानी का विषय यह होना चाहिए कि फिलहाल इन्होंने अपने बच्चों को सिर्फ निजी स्कूलों से हटाया है, जबकि बीपीएल लाभ तो उन्हें आगे भी मिलता रहेगा। ऐसे में उन गरीब परिवारों का क्या जो पंचायत में कोई खास पहुंच न होने के कारण आज भी सरकारी योजनाओं  के दायरे से बाहर हैं? आखिर कब तक इन संपन्न परिवारों को गरीब-बदहाल परिवारों के हक खिलाए जाते रहेंगे? पूरे प्रदेश में ऐसे परिवार मिल जाएंगे, जो गरीबी का ढोंग रचकर सरकारी लाभ और सस्ता राशन हड़प रहे हैं। यह विरोधाभासी स्थिति प्रदेश में पसरे आर्थिक-मानसिकता भ्रष्टाचार के दर्शन करवाती है। इसके बावजूद प्रसन्नता का विषय यह है कि मेरे प्रदेश में भ्रष्टाचार देश के दूसरे सभी राज्यों से कम है।

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