मंत्री के गृह जिला में ‘मर रहे’अस्पताल

By: May 3rd, 2017 12:07 am

newsnewsमंडी – यूं तो बेशक प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंडी जिला से हैं, लेकिन उनके अपने ही जिला में क्षेत्रीय अस्पताल व सिविल अस्पताल सुंदरनगर को छोड़ कर दूसरे हर बडे़ अस्पताल में चिकित्सकों का टोटा बना हुआ है। मंडी अस्पताल के मेडिकल कालेज से जुड़ने के बाद यहां चिकित्सकों का आंकड़ा 104 हो गया है, लेकिन जिला के अन्य अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से मरीजों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और सिर्फ निजी अस्पताल ही लाखों लोगों के जिला में सहारा बचे हैं। सिविल अस्पताल जोगिंद्रनगर, सरकाघाट, रत्ती, धर्मपुर, संधोल, हैडर, करसोग और गोहर स्थित जिला के अन्य बडे़ अस्पतालों में चिकित्सकों के दर्शन लोगों को मुश्किल से हो पा रहे हैं। इन अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सक का टोटा बना हुआ है। इसी कारण लाखों लोग जिला ज्यादातर रूप से निजी अस्पतालों पर ही निर्भर हैं। कहीं दिन में अगर चिकित्सक मिल भी रहे हैं तो रात के आपातकालीन सेवाएं ठप हैं। दर्जा सिविल अस्पताल का होने के बाद भी न तो विशेषज्ञ चिकित्सक हैं और न ही छोटे-मोटे टैस्ट अस्पतालों में हो पा रहे हैं। मंडी जिला के इन आठ बडे़ अस्पतालों में ही इस समय चिकित्सकों तीन दर्जन से अधिक पद खाली पडे़ हैं। सबसे बुरे हालात तो जोगिंद्रनगर सिविल अस्पताल और संधोल अस्पताल के बने हुए हैं। संधोल अस्पताल में तो इस समय एक भी चिकित्सक नहीं है। यहां तीन पदों में से दो डेढ़ वर्ष से खाली हैं और एक मात्र डाक्टर अब पीजी करने चल गया है। यहां कभी डेपुटेशन पर तो कभी बीएमओ खुद बैठ कर काम चला रहे हैं। जोगिंद्रनगर सिविल अस्पताल में 19 पदों में से 15 चिकित्सकों के पद खाली पडे़ हुए हैं। यहां पर डेंटल, आई, मेडिसन के अलावा कोई विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है, न ही वर्षों से अल्ट्रासाउंड हो रहे हैं। सिविल अस्पताल रत्ती के भी यही हालात हैं। यहां पर छह चिकित्सकों में तीन के पद खाली चले हुए हैं। यहां पर कई बार तो दिन के समय एक भी डाक्टर ड्यूटी पर ही नहीं होता है। इसी तरह सिविल अस्पताल सरकाघाट में 15 में से 7 डाक्टरों के पद वर्षों से रिक्त चल रहे हैं, जिसमें मेडिसिन और गायनी विशेषज्ञ जैसे अहम चिकित्सक भी नहीं हैं। गोहर अस्पताल में भी आठ डाक्टर में से पांच ही डाक्टर सेवाएं दे रहे हैं। यहां पर एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है, न ही अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध है। धर्मपुर अस्पताल में भी एक मात्र चिकित्सक सेवाएं दे रहा है। यहां पर दो पद लंबे समय से रिक्त चले हुए हैं। वहीं, डैहर और करसोग अस्पताल में भी चिकित्सकों का टोटा बना हुआ है। वहीं सीएमओ मंडी देशराज शर्मा का कहना है कि चिकित्सकों की कमी से यह हालात बने हुए हैं। मामला विभाग के ध्यानार्थ में हैं। धीरे-धीरे यह कमी दूर हो जाएगी।

एक भी स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं

सरकाघाट और धर्मपुर उपमंडल की लाखों की महिला आबादी के लिए एक भी अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है। यहां पर महिलाओं को यह निजी अस्पतालों या फिर मंडी व हमीरपुर के चक्कर लगाने पड़ते हैं।

छोटी-मोटी सर्जरी तक नहीं होती

मंडी व सुंदरनगर अस्पताल को छोड़ कर अन्य अस्पतालों के हालात इतने खराब हैं कि यहां पर छोटी मोटी सर्जरी तक नहीं हो पाती है। लिहाजा निजी अस्पतालों में लंबी लाइनें मरीजों की लगी हैं।

कई जगह पर जरूरत से ज्यादा डाक्टर

जिला के बडे़ अस्पतालों में जहां चिकित्सक नहीं हैं, वहीं कई सीएचसी व पीएचसी ऐसी भी हैं, जहां पर जरूरत से ज्यादा चिकित्सक हैं। जोगिंद्रनगर, दं्रग और मंडी में कई ऐसे मामले आसानी से मिल जाएंगे।

जोगिंद्रनगर अस्पताल में धरना-प्रदर्शन

जोगिंद्रनगर अस्पताल में तो चिकित्सकों की कमी के चलते आए दिन लोग प्रदर्शन करते रहते हैं। यहां पर तो रोगियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यही हालत धर्मपुर और संधोल की जनता की भी है।

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