मौसम की आंखमिचौनी ने सताए
मटौर – कहते हैं कि जब खेतों में फसल पककर तैयार हो गई और कटाई का दौर चला हो, उस वक्त तो सोने की बारिश भी बुरी लगती है। यानी पकी हुई फसल के आगे सोने का भी कोई मोल नहीं होता, लेकिन जिला कांगड़ा में दो दिन से रुक-रुक कर हो रही बारिश ने किसानों को न केवल परेशान कर रखा है, बल्कि उनकी मेहनत पर भी पानी फेर कर रख दिया है। कुछ दिन से साफ मौसम को देखते हुए किसानों ने खेतों में पकी गेहूं की कटाई शुरू कर दी थी। कुछ जगहों पर तो थ्रेशिंग का काम भी शुरू हो गया है, लेकिन शनिवार से जारी मौसम की आंख-मिचौनी जिला के किसानों पर भारी पड़ रही है। शनिवार मध्य रात्रि शुरू हुए बारिश के क्रम ने जिला में कई बीघा खेतों में गेहूं की फसल को बुरी तरह भिगो दिया। बारिश क्योंकि रात को शुरू हुई, ऐसे में किसानों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। रविवार को सुबह धूप खिली, तो जैसे-तैसे किसानों ने खेतों में भीग चुकी कटी फसल को सुखाने मेढ़ों में रखना शुरू किया। जो कसर शनिवार की बारिश से रह गई थी, वह रविवार सायं हुई ओलावृष्टि ने पूरी कर दी। हालांकि बारिश का यह क्रम 10 से 15 मिनट का था, लेकिन इस समय तो फसल पर पानी की एक बूंद भी भारी है। एक तो जो फसल खेतों में पड़ी है, वह काली होनी शुरू हो जाएगी और दूसरा कटाई के समय मुश्किल होगी।
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