रिटेल, ई-कॉमर्स निर्यात घोषित हों उद्योग

By: May 31st, 2017 12:04 am

फिक्की ने रिपोर्ट जारी कर कहा, व्यापार में आएगी रफ्तार

नई दिल्ली — वैश्विक स्तर ई कॉमर्स में आ रही तेजी के मद्देनजर भारत में भी रिटेल ई कॉमर्स निर्यात को दर्जा दिए जाने की वकालत करते हुए कहा गया है कि यदि यह दर्जा मिल जाता है, तो इसका वार्षिक कारोबार 26 अरब डालर तक हो सकता है। फिक्की सीएमएसएमई-आईआईएफटी की मंगलवार को यहां जारी रिपोर्ट में रिटेल ई कॉमर्स निर्यात को उद्योग का दर्जा दिए जाने की वकालत करते हुए कहा गया है कि ऑनलाइन तरीके से भारतीय निर्यात के लिए अपार संभावनाएं हैं, लेकिन अभी नीतिगत माहौल न होने की वजह से पूरा दोहन नहीं किया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार ऑफलाइन से ऑनलाइन निर्यात के इस आमूलचूल बदलाव से न केवल भारतीय नीति निर्माताओं के लिए बल्कि एमएसएमई के लिए भी आगे चुनौती खड़ी होगी। इसलिए इसमें सरकार से भारत की विदेश व्यापार नीति (एफटीपी 2015-20) के तहत मौजूदा व्यापारिक निर्यात योजना (एमईआईएस) नीति में बदलाव करने और भारतीय एमएसएमई को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की तरफ जाने के लिए प्रेरित करने की रणनीति अपनाने के सुझाव दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि ई-कॉमर्स पिछले पांच साल में काफी लोकप्रिय हुआ है। ई-कॉमर्स फाउंडेशन की ग्लोबल बिजनेस टुकंज्यूमर्स (बी-टू-सी) ई-कॉमर्स रिपोर्ट 2016 के अनुसार साल 2015 में बी2सी ई-कॉमर्स बिक्री में सबसे ज्यादा हिस्सा चीन का था, इसके बाद अमरीका और फिर ब्रिटेन का नंबर था। विकसित देशों में ऑनलाइन खुदरा कारोबार एक आम बात हो चुकी है और वहां के कुल खुदरा लेन-देन में इसका 10 से 13 फीसदी हिस्सा होता है। हालांकि भारत में बी2सी ई-कॉमर्स बिक्री 25.5 अरब डालर की है, जिससे दुनिया में इसका नौवां स्थान है और इसके बाद दसवें स्थान पर रूस है, लेकिन भारत के कुल खुदरा कारोबार में भारतीय ऑनलाइन रिटेल का हिस्सा एक फीसदी से भी कम है। नीतिगत उपायों से ई-कॉमर्स (बी-टू-सी) द्वारा निर्यात मौजूदा 50 करोड़ डालर से बढ़कर वर्ष 2020 तक दो अरब डालर तक पहुंच सकता है, जो भारत के खुदरा निर्यात का करीब 10 फीसदी होगा। भारतीय एमएसएमई का ई-कॉमर्स (बी-टू-सी) द्वारा सीमा पार व्यापार (सीबीटी) बहुत कम होता है।

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