रेणुका झीलः पानी कम, गाद ज्यादा

By: May 18th, 2017 12:10 am

news newsददाहू श्रीरेणुकाजी —  अंतरराष्ट्रीय वेटलैंड के रूप में अंकित एवं प्रदेश की पहली बड़ी प्राकृतिक धार्मिक महत्त्व की रेणुकाजी झील प्रतिवर्ष गाद बढ़ने से सिकुड़ रही है। यही नहीं झील का निकासी जल से परशुराम तालाब निर्मित हुआ है। जिस पर झील के पानी का फ्लो कम होने से सीधा असर पड़ता है। इसका गर्मियों में आधा हिस्सा सुख जाता है। तीर्थ श्रीरेणुकाजी झील 13 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली है। इसका अब ऊपरी हिस्सा विशेष प्रकार की घास ओर गाद, खरपतवार से भर रहा है। ऐतिहासिक झील के प्रति पर्यावरण प्रेमी भी चिंता जता रहे है। बताया जा रहा कि यदि इसी गति से झील में गाद बढ़ती रही तो कुछ वर्षों बाद झील का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। गौर हो कि राज्य पर्यावरण, विज्ञान, एवं तकनीकी परिषद के तहत झील का रख रखाव का जिम्मा है। वही झील रेणुकाजी के सेंचुरी एरिया में है। लिहाजा झील को गाद से मुक्त करने के लिए इन एजेंसी की तकनीकी सलाह ओर मद्द की सख्त दरकार है। सुप्रसिद्ध श्रीरेणुकाजी झील पर्यटन की दृष्टि से प्रतिवर्ष पर्यटकों की आमद में इजाफा कर रही है। झील में बोटिंग, मछलियों को फीडिंग अपने आप मे एक सुखद अहसास है। लिहाजा झील के संरक्षण के लिए इच्छा शक्ति से कदम उठाए जाने की जरूरत है। बता दे कि झील में समीप के पहाड़ों से प्रतिवर्ष मृदा अपदरण के कारण गाद का स्तर ओर एरिया बढ़ता जा रहा है। वन्य प्राणी विभाग के अनुसार यहां के पंजी खाला में सबसे अधिक गाद झील में प्रवेश कर रही है। इसको लेकर चेकडैम भी बनाए गए है। मगर यह सब अस्थायी इलाज है। झील के निचले छोर पर कमल प्रजाति के फूलों से एरिया गाद से भर रहा है, जिसके चलते गर्मियों में झील का तल यहां पर गाद से भरा साफ  दिखाई देता है। वहीं परशुराम ताल पर भी गाद का असर पड़ा है। जिसे हाल ही में वन्य प्राणी विभाग ने कुछ हद तक हटाने का कार्य भी किया। श्रीरेणुकाजी झील धरोहर है। प्रतिवर्ष श्रद्धालु धार्मिक अवसरों और श्रीरेणुकाजी मेले के दौरान यहां आस्था की डुबकी हजारों की संख्या में लगाते है। झील का बायोलॉजिकल ऑक्सीजन स्तर भी प्रतिवर्ष अत्यधिक दबाव के कारण कम हो रहा है ऐसा रिपोर्ट भी बताती है। बढ़ती गाद और कम होता बीओडी लेवल जलीय जीवन के लिए भी आने वाले समय मे घातक साबित हो सकता है। हालांकि जलीय जीवन के लिए श्रीरेणुकाजी के स्नान घाटों पर अब आटे की गोलियां देना बंद करवाया गया है। इसके पीछे मछलियों का स्वास्थ्य प्रवाभित होने की बात कही गई है। पर्यावरण प्रेमी झील के असितत्व के लिए इसे गाद ओर कमल फूलों से मुक्त करने की झील को सुझाव दे रहे है।

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