वर्क लोड ज्यादा और स्टाफ कम

By: May 8th, 2017 12:01 am

प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में बढ़ रहे काम से फार्मासिस्ट्स खफा

मटौर – प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं दे रहे फार्मासिस्ट सरकार से खफा हैं। नाराजगी का कारण जहां फार्मासिस्ट्स की कमी और उन पर डाला जा रहा अतिरिक्त काम है, वहीं वेतन-भत्तों के नाम पर अपनाई जा रही दोहरी नीति है। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश की सीएचसी, पीएचसी और अस्पतालों में काम को सही तरीके से चलाना है तो 1700 अतिरिक्त फार्मासिस्ट्स की जरूरत है। बता दें कि असेंसियल ड्यूटी में केवल डाक्टर और नर्सिस आती हैं। प्रदेश में 1152 फार्मासिस्ट, पीएचसी, सीएचसी समेत बड़े अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। इनमें से 128 चीफ फर्मासिस्ट हैं, जबकि 385 कर्मी आरकेएस के तहत सेवाएं दे रहे हैं। फार्मासिस्ट से नाइट ड्यूटी भी करवाई जाती है। इसके अलावा एनआरएचएम के तहत चलाए जा रहे कार्यक्रमों में भी इनकी सेवाएं ली जाती हैं। यही नहीं, कहीं-कहीं तो फ्री दवाइयों समेत अन्य बिलों की सत्यतता भी फार्मासिस्टों से ही प्रमाणित करवाई जा रही है। जानकारी के अनुसार इंटीरियर इलाकों में अधिकतर पीएचसी में डाक्टर नहीं हैं, वहां फार्मासिस्ट ही मरीजों को देखते हैं। वहीं फार्मासिस्ट्स का असली काम मेडिसिन सप्लाई करना, मरीजों के लिए दवाई की डोज बनाना उनकी काउंसिलिंग करना, इंजेक्शन लगाना आदि होता है, क्योंकि ओपीडी की सही जानकारी फार्मासिस्ट को ही होती है, लेकिन उन्हें बेसिक काम से हटाकर दूसरे काम में लगा दिया गया है।

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