संवेदनशीलता ही ज्ञान की प्राप्ति
प्रदेश विश्वविद्यालय में सेमिनार के दौरान बोले सीयू कुलपति
शिमला — हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय दूरवर्ती शिक्षा एवं मुक्त अध्ययन केंद्र (इक्डोल) में शुक्रवार को ‘शिक्षा नीति में भारतीय दृष्टि एवं वर्तमान में दूरवर्ती शिक्षा का महत्त्व’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान माला के मुख्य वक्ता हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री रहे। डा. अग्निहोत्री ने कहा कि ज्ञान को तो सभी अर्जित करते हैं, परंतु ज्ञान व्यावहारिक होना चाहिए तथा उसमें संवेदनशीलता भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय दृष्टि में व्यावहारिकता तथा संवेदनशीलता ही ज्ञान प्राप्ति का आधार है। उन्होंने कहा कि ज्ञान को अर्जित करने के लिए छात्रों में जिज्ञासा होनी चाहिए तथा शिक्षक भी ज्ञान को बांटने में उत्सुक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत में शिक्षा को गुरुकुल के माध्यम से अर्जित किया जाता था। उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे इस केंद्र के माध्यम से विद्यार्थियों के साथ संवाद स्थपित करने की कोशिश करें, ताकि शिक्षा का लाभ आम जनमानस तक पहुंच सके। इस अवसर पर केंद्र के निदेशक आचार्य पीके वैद्य ने मुख्यातिथि का स्वागत किया तथा उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय दूरवर्ती शिक्षा एवं मुक्त अध्ययन केंद्र ने पिछले एक वर्ष से व्याख्यान माला की शृंखला आरंभ की है, जिससे केंद्र के शिक्षकों व कर्मचारियों को दूरवर्ती शिक्षा के माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थियों को हरसंभव सहायता करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों से इक्डोल में छात्रों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। उन्होंने भविष्य में इक्डोल में होने वाले कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान इक्डोल के सभी शिक्षक, अधिकारी व गैर शिक्षक कर्मचारी भी उपस्थित थे।
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