सफेद हाथी साबित हो रहा नाहन मेडिकल कालेज

By: May 5th, 2017 12:05 am

नाहन —  ऊंची दुकान फीका पकवान वाली कहावत डा. यशवंत सिंह परमार मेडिकल कालेज एवं अस्पताल नाहन में सही साबित हो रही है। प्रदेश सरकार ने जिला अस्पताल का दर्जा बढ़ाकर मेडिकल कालेज तो कर दिया, लेकिन कालेज में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती सरकार भूल गई। आलम यह है कि मेडिकल कालेज में अधिकतर ओपीडी में केवल मात्र एक या दो चिकित्सक ही होता है। खासकर यदि गायनी ओपीडी, चाईल्ड ओपीडी व ऑर्थो ओपीडी एक-एक विशेषज्ञ के सहारे चल रही है, जिसके चलते न केवल ओपीडी में बैठे चिकित्सक पर अत्याधिक काम का बोझ रहता है, वहीं जिला के दूरदराज के ग्रामीण इलाकों से मेडिकल कालेज में उपचार के लिए पहुंच रहे रोगियों को कई मर्तबा बैरंग लौटना पड़ता है। जानकारी के मुताबिक डा. वाईएस परमार मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में सबसे अधिक संख्या महिला रोगियों की है, लेकिन गायनी ओपीडी में एक या दो से अधिक चिकित्सक नहीं मिलते हैं। गुरुवार को मेडिकल कालेज में केवल एक ही स्त्री रोग विशेषज्ञ बैठे थे, जिसके चलते कई रोगियों को शाम के चार बजे बिना उपचार के ही लौटना पड़ा। जिला के शिलाई से आई कमलेश, निशा, सुनीता, दिव्या, रोनहाट से आई कमला देवी, सुरमी देवी, जिला शिमला के कुपवी क्षेत्र से आई सुमित्रा, कौशल्या, नेहा, कुंती व हरिपुरधार क्षेत्र से आई प्रतिभा, तारा व नंदिनी इत्यादि ने बताया कि वह गुरुवार सुबह नौ बजे मेडिकल कालेज की गायनी ओपीडी में पहुंचे थे, लेकिन शाम चार बजे तक नंबर नहीं आया, जिसके चलते अब उन्हें या तो नाहन में ही रूकना पड़ेगा या फिर बिना इलाज के वापिस जाना पड़ेगा। यही नहीं गायनी ओपीडी के बाहर स्त्री रोगियों की अत्याधिक भीड़ रहती है। भले ही मेडिकल कालेज प्रशासन ने बैंच की व्यवस्था तो की है लेकिन रोगियों के हिसाब से यह बहुत कम है। हैरानी की बात तो यह है कि गायनी ओपीडी के बरामदे में रोशनी तक की व्यवस्था नहीं है। यही हाल मेडिसिन, ऑर्थो व चाइल्ड ओपीडी का भी है। मेडिकल कालेज में स्त्री रोग विशेषज्ञों के 10 पद स्वीकृत हैं, लेकिन चार पद ही भरे गए हैं। इनमें से भी कभी भी सभी चिकित्सक ओपीडी में नहीं मिलते हैं।

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