सीयू को मिलेगा ‘अपना घर’

By: May 13th, 2017 12:01 am

दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जगी उम्मीद, हिमाचल सरकार से चार हफ्ते में मांगी रिपोर्ट

नई दिल्ली, देहरा गोपीपुर —  हिमाचल की सेंट्रल यूनीवर्सिटी (सीयू) को अपना कैंपस जल्द मिलने की  आस बंध गई है। शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस संबंध में हिमाचल सरकार से चार हफ्ते में रिपोर्ट तलब की है। मामले की अगली सुनवाई 31 अगस्त को निर्धारित की गई है। दिल्ली उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व अनु मल्होत्रा की खंडपीठ ने शुक्रवार को नरोत्तम नरेश वालिया बनाम भारत सरकार डब्ल्यू पी (सी) 5187, 2016 की सुनवाई करते हुए हिमाचल प्रदेश के प्रधान सचिव (वन) को चार सप्ताह में न्यायालय में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। मामले की पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार राव और विनोद शर्मा ने बताया कि मई 2016 में नरोत्तम नरेश वालिया बनाम भारत सरकार डब्ल्यू पी (सी) 5187, 2016 के माध्यम से दिल्ली उच्च न्यायालय में यह गुहार लगाई थी कि हिमाचल प्रदेश में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के स्थायी कैंपस के निर्माण में देरी क्यों हो रही है, जबकि वर्ष 2009 में एक ही समय में देश के विभिन्न प्रदेशों में सेंट्रल यूनिवर्सिटी की स्थापना की घोषणा की गई थी। देश के विभिन्न प्रदेशों में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के भवन बनकर तैयार भी हो चुके हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश में अभी तक इस संदर्भ में कोई भी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है। भारत सरकार की ओर से मामले की पैरवी करते हुए अधिवक्ता कुमारी श्रीधा भार्गवा ने बताया कि इस संदर्भ में भारत सरकार ने अपना जवाब छह अगस्त, 2016 को ही दाखिल कर दिया था। इसके साथ ही न्यायालय को यह बताने को भी कहा गया है कि जो पत्र दिनांक 18.03.2014 को संशोधित प्रस्ताव हिमाचल प्रदेश सरकार ने भारत सरकार के पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजा था, जिसमें भारत सरकार के इस मंत्रालय ने अपने जवाबी पत्र के माध्यम से दिनांक 27 अगस्त, 2015 को 81.7916 हेक्टेयर भूमि देहरा में सेंट्रल यूनिवर्सिटी को बनाने के लिए सहमती प्रदान कर दी थी।

अगली सुनवाई 31 अगस्त को

न्यायालय द्वारा अगली सुनवाई 31 अगस्त को निर्धारित की गई है, जिससे हिमाचल प्रदेश के कंेद्रीय विश्वविद्यालय को अपना स्थायी भवन जल्द ही मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। उधर, देहरा के नरोत्तम नरेश वालिया ने बताया कि जन हित मुद्दे को दिल्ली हाई कोर्ट में लगाना ही उनका मुद्दा नहीं है, वह प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार की सेंट्रल यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर चुप्पी से हैरान  हैं, क्योकि यह विकास का मुद्दा है और सरकार का फर्ज है कि इस पर जल्द कार्रवाई करे।

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