सेना की सेवा को बढ़े हाथ

By: May 10th, 2017 12:05 am

(जयेश राणे, मुंबई, महाराष्ट्र)

जवानों की सीमा पर लगातार शहादत से आहत होकर गुजरात के 84 वर्षीय जनार्दन भट्ट ने सेना को एक करोड़ रुपए अर्पण किए हैं। मेहनत की कमाई से अर्पित इस धन का सेना की सहूलियत के लिए उचित उपयोग होगा, इसमें संदेह नहीं है। इससे एक सवाल उठता है कि देश के एक निवृत्त नौकरदार नागरिक को मन से सेना को अर्पण करने की इच्छा होती है और वह उसे अंजाम भी दे देता है। ऐसी मंशा देश के नेताओं में कब जागेगी? चुनाव के समय किस तरह से पैसों का इस्तेमाल किया जाता है, वह जनता करीब से देखती है। लेकिन जीतने के बाद जनता के कर के पैसों से नेताओं को वेतन और बाकी सुविधाओं की जरूरत क्यों पड़ती है? प्रशासन के भ्रष्ट अधिकारी जनता से उनके काम के लिए रिश्वत लेकर खुद की जेब भरते हैं और भ्रष्ट नेता भी इसमें पीछे नहीं हैं। इसी वजह से देश कर्जे के चपेट में फंस गया है और भ्रष्ट लोग गब्बर सिंह बन गए हंै। जो लोग वास्तव में दान की मंशा लिए रहते हैं, वे दान देते समय भी हाथ पीछे नहीं लेता। ऐसे नागरिक ही राष्ट्र की असली शक्ति हैं।

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