स्पष्ट नीति के साथ आगे बढ़े पर्यटन

By: May 9th, 2017 12:07 am

newsपिंकी रमौल

लेखिका, पांवटा साहिब से हैं

पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर में विगत कुछ वर्षों से खराब कानून-व्यवस्था के कारण स्थानांतरित संभावित पर्यटकों को भी हिमाचल प्रदेश उपयुक्त रूप से आकर्षित करने में विफल रहा है। इस प्रकार हर संभावना के बावजूद  हम एक श्रेष्ठ विकल्प के रूप में अपनी पहचान पर्यटन क्षेत्र में बनाने में असफल रहे हैं…

हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का विशेष महत्त्व है, परंतु उचित विकास नीति के अभाव में अधिकतर पर्यटक स्थल तेजी से कंकरीट का जंगल बनते जा रहे हैं। इस उधेड़बुन में प्रदेश का प्राकृतिक सौंदर्य विलुप्त होता जा रहा है। हमारे पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर में विगत कुछ वर्षों से खराब कानून और व्यवस्था की स्थिति के कारण स्थानांतरित संभावित पर्यटकों को भी हिमाचल प्रदेश उपयुक्त रूप से आकर्षित करने में विफल रहा है। इस प्रकार हर संभावना के बावजूद एक श्रेष्ठ विकल्प के रूप में अपनी पहचान अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर दर्ज करने में असफल रहा है। हालांकि हमारे पास ऐतिहासिक रूप से महत्त्वपूर्ण शिमला तथा कुल्लू मनाली जैसा प्राकृतिक सौंदर्य है। यद्यपि पर्यटन स्थलों में वेश्यावृत्ति, शराब और ड्रग्स जैसे उपद्रव खतरों के रूप में उभरे हैं, लेकिन आम तौर पर लोग अपने क्षेत्र को बदनाम नहीं करना चाहते और अकसर इन समस्याओं के अस्तित्व के बारे में अज्ञानता दर्शाते हैं। हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला और मनाली रेव पार्टी के लिए बदनाम हुए हैं, जहां पार्टी में शराब, नशीले पदार्थ, सेक्स और संगीत का कॉकटेल उपलब्ध होता है। निःसंदेह स्थानीय प्रशासन रेव पार्टीज के अस्तित्व को अधिकतर नकारते रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से वास्तव में यहूदी बस्तियों में बदल रहे हैं। यहां बड़ी संख्या में इजरायल के पर्यटक आ रहे हैं और बस रहे हैं। धर्मकोट, ओल्ड मनाली, वशिष्ठ, कसोल और तोश गांव की आबादी में इजरायल की राष्ट्रीयता का लगभग आधा हिस्सा है।  कांगड़ा और कुल्लू घाटियां यहूदियों के लिए एक सुरक्षित स्वर्ग बन गई हैं। इस तरह हिमाचल प्रदेश में अनेक लिटिल तेल अवीव स्थापित हो रहे हैं। पर्यटन स्थलों में उचित स्वच्छता के अभाव में पर्यटकों के लिए संक्रमण व बीमारियों का अधिक जोखिम है। इसके अतिरिक्त आवारा कुत्तों, बंदरों तथा मवेशियों से भी अकसर पर्यटक खतरे में पड़ते हैं। भारत हनुमान के लिए उत्कीर्ण मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है और बंदरों को विशेष रूप से सम्मानित किया जाता है, लेकिन बंदरों ने यात्रियों और पर्यटकों के बीच आतंक पैदा कर दिया है। ये बंदर न केवल लोगों से खाने-पीने की चीजें छीन लेते हैं, बल्कि उन पर हमला भी करते हैं। आवारा कुत्ते रैबीज से संक्रमित हो सकते हैं, जिससे पर्यटकों को विशेषकर खतरा हो सकता है। इस तरह के अनुभव वाले पर्यटक के उस विशेष गंतव्य पर लौटने की संभावना नहीं है और पर्यटक ऐसी घटना को अपने मित्रों, सहकर्मियों और यात्रा समीक्षा वेबसाइटों पर साझा कर सकते हैं।

‘हर गांव की कहानी’ हिमाचल प्रदेश सरकार की एक अनूठी पहल है, जिसे 2010 में शुरू किया गया था। इसके तहत राज्य के प्रत्येक जिला में से प्रत्येक में एक गांव का चयन किया गया था और इन गांवों से संबंधित आकर्षक कहानियों, लोककथाओं और उपाख्यानों का इस्तेमाल पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए किया जाता है। इस योजना का लक्ष्य पर्यटकों को पहाड़ी राज्य के देहाती जीवन की एक झलक प्रदान करना है। यद्यपि इस योजना के लिए राज्य सरकार को प्रशंसा मिली है व पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, परंतु इस योजना पर अभी काफी काम करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के कुछ निर्णय, विशेषकर रोहतांग पास में पर्यटन संबंधी निर्णय से प्रदेश में पर्यटन विकास को नुकसान हुआ है। वास्तव में पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन विकास के बीच विरोधाभास व असमंजस की स्थिति होती है। न्यायपालिका व सरकार को पुराने संरक्षणवादी और कानूनवादी दृष्टिकोण पर निर्भर रहने के बजाय आधुनिक पर्यावरण अर्थशास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर एक व्यावहारिक व संतुलित नीति तैयार करनी चाहिए, जिसमें स्थानीय जनता के विभिन्न हितों की अनदेखी न हो। सरकार को स्थानीय जनता के हितों को न्यायपालिका के समक्ष उचित तरीके से पेश करने के पुख्ता इंतजाम करने चाहिएं, ताकि एकतरफा व अतार्किक फैसले न हों तथा गलत फैसलों को चुनौती दे जा सकें। प्रमुख पर्यटन स्थलों में, विशेषकर सार्वजनिक स्थलों पर वाई-फाई स्पॉट बनाया जाना चाहिए। इसके लिए दूरसंचार कंपनियों से सरकार द्वारा सहमति ज्ञापन किया जा सकता है। भारत को ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ के संभावित लाभ प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के साथ पर्यटन विकास नीतियों के अभिसरण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। पर्यटन को प्रो-पुअर बनाने के लिए सरकार को परंपरागत ललित कला और हथकरघा कार्यों को प्रोत्साहित करना चाहिए। धर्मशाला में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच का आयोजन होने से भी क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है तथा पर्यटन को काफी बढ़ावा मिला है। एक अच्छी नाइटलाइफ आज के आधुनिक जीवन का हिस्सा है और सरकार को नाइटलाइफ के लिए उचित सुविधा प्रदान करनी चाहिए तथा इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय रुझानों को ध्यान में रखते हुए शराब, रेस्तरां और डांस बार से संबंधित नियमों में आवश्यक सुधार व संशोधन करने चाहिएं। निश्चित ही इन नियमों में स्थानीय जनभावनाओं का भी ध्यान रखना होगा और हितधारकों को निर्णय व विकास में भागीदार बनाना होगा। इन तमाम संभावनाओं को केंद्र में रखकर हमें हिमाचल के उज्ज्वल पर्यटन उद्योग का स्पष्ट खाका तैयार करना होगा।

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।

-संपादक

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