हाई कोर्ट के आदेशों को एचपीयू का ठेंगा

By: May 23rd, 2017 12:01 am

प्रदेश भर के निजी बीएड कालेजों में संशोधित फीस स्ट्रक्चर की दरें पहली मई से लागू करने का दिया था फैसला

सोलन —  प्रदेश में संचालित निजी बीएड कालेजों में संशोधित फीस स्ट्रक्चर की दरों को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पहली मई, 2017 से लागू करने के आदेशों को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने ठेंगा दिखा दिया है। बीएड एसोसिएशन इस मामले में अब उच्च न्यायालय में अवमानना का केस दर्ज करने पर विचार कर रही है। प्रदेश भर में इस समय 73 निजी बीएड कालेज संचालित हैं। पहले एक वर्ष की फीस 46750 रुपए थी तथा दो वर्ष की फीस 92500 हो गई। दो वर्ष तक इसी अनुपात में फीस ली गई। इस संदर्भ में न तो सरकार की ओर से कोई अधिसूचना आई तथा न ही विवि प्रशासन ने दो वर्ष तक नए फीस स्ट्रक्चर पर आपत्ति की। इसी बीच सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने नई फीस का सुझाव दिया तथा दो वर्ष के कोर्स की फीस को 92500 (एक हजार लाइब्रेरी सिक्योरिटी) के बजाय 62870 करने का मामला सरकार को भेजा। इससे पूर्व यह नई फीस स्ट्रक्चर प्रदेश में 2015-17 से लागू हो पाता, तो उससे पूर्व ही बीएड कालेज एसोसिएशन ने माननीय उच्च न्यायालय में उक्त समिति द्वारा निर्धारित फीस को चुनौती दे दी। मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन होने के बाद बीएड संचालक पूर्व विधायक मनजीत डोगरा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से मिले तथा उन्हें अवगत करवाया कि दो वर्ष में उन्हें कम से कम तीस हजार रुपए से भी अधिक प्रति विद्यार्थी से वसूले जाने वाली फीस का नुकसान होगा। जो फीस दो वर्ष पूर्व ली जा चुकी है, उसको कैसे वापस किया जाए। प्रदेश सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए पहले ली जाने वाली दो वर्ष की 92500 रुपए के करीब फीस को घटाकर 84870 (दो वर्ष) कर दिया। इस तरह प्रबंधकों को नौ हजार रुपए से भी अधिक प्रति छात्र फीस का झटका लगा। प्रदेश सरकार ने दो मई, 2017 को प्रधान सचिव शिक्षा के कार्यालय से एक पत्र जारी करके यह भी स्पष्ट कर दिया कि नया फीस स्ट्रक्चर 2017-19 से ही लागू होगा तथा वर्ष 2016-18 के दूसरे वर्ष के छात्रों से भी नए फीस स्ट्रक्चर के अनुसार ही राशि ली जाएगी। प्रदेश सरकार ने इस आशय से उच्च न्यायालय को भी अवगत करवाया। गत 15 मई को उच्च न्यायालय ने विचाराधीन मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकार के नए फीस स्ट्रक्चर को पहली मई, 2017 से ही लागू किया जाए। इसी दौरान इन सब बातों से अनभिज्ञ प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन ने 18 मई को एक और ही अधिसूचना जारी करके नए विवाद को जन्म दे दिया।

अवमानना का मुकदमा दायर करेंगे

बीएड एसोसिएशन के महासचिव वेद शर्मा ने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ जो भी अधिकारी या अन्य स्वार्थी लोग काम कर रहे हैं या टिप्पणियां कर रहे हैं, उनके खिलाफ कोर्ट में अवमानना का मुकदमा दायर किया जाएगा।

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