हिमाचल को तीसरा एमडीआर ट्रीटमेंट सेंटर
मंडी — हिमाचल को तीसरा पीएमडीटी (प्रोग्रामेटिक मैनेजमेंट ऑफ ड्रग रजिस्टेंट टीबी) सेंटर मंजूर हो गया है। पीएमडीटी सेंटर टीबी के एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंट) मरीजों का इलाज किया जता है। इससे पहले यह सुविधा कांगड़ा के टांडा और सोलन के धर्मपुर में दी जा रही थी। अब सेंटर के लिए बजट जारी होना बाकी है। सेंटर के लिए 15 लाख रुपए दिए जाएंगे। ऐसे में अब मंडी सहित पड़ोसी जिला के एमडीआर मरीजों को टीबी सेनेटोरियम ट्रीटमेंट सेंटर धर्मपुर या टांडा के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इसके साथ ही एमडीआर ट्रीटमेंट सेंटर के लिए अधिकारियों ने कसरत शुरू कर दी है। इसके लिए बाकायदा जगह भी चिन्हित की जा चुकी है। अब बजट मिलते ही कमेटी गठित कर अन्य औपचारिकताओं पूरी कर ली जाएंगी। खास बात यह है कि अभी तक एमडीआर मरीजों के लिए हिमाचल में टीबी सेनेटोरियम धर्मपुर-टांडा में ही इलाज की सुविधा उपलब्ध थी। इसके लिए हिमाचल के 12 जिलों को छह-छह के अनुपात में बांटा गया था। लोअर हिमाचल के मरीज सुविधानुसार टांडा, तो अपर हिमाचल के मरीज धर्मपुर में इलाज करवाते थे। अब मंडी में भी सेंटर खुलने से कम से कम तीन जिलों के लोग यहां इलाज करवा सकते हैं। मेडिकल आफिसर डिस्ट्रिक्ट टीबी सेंटर डा. अक्षय मिन्हास ने कहा कि एमडीआर ट्रीटमेंट सेंटर शुरू होने से मरीजों को सुविधा मिलेगी। जिला में अभी तक एमडीआर के 95 मरीज हैं। उधर, मंडी के एमओएच डा. जोगिंद्र ठाकुर ने बताया कि एमडीआर ट्रीटमेंट सेंटर को मंजूरी मिल गई है। अब बजट आना ही बाकी है। बजट आने पर सेंटर शुरू कर दिया जाएगा।
करीब 15 लाख रुपए का बजट
मंडी के एमडीआर ट्रीटमेंट सेंटर स्वीकृत होने के बाद इसके लिए करीब-करीब 15 लाख रुपए का बजट दिया जाएगा। इसे रिपेयरिंग सहित अन्य जरूरी कामों में खर्च किया जाएगा।
क्यों जरूरी है सेंटर
एमडीआर मरीजों के लिए टीबी की अलग दवाएं होती हैं। इन मरीजों पर टीबी की प्रथम पंक्ति की दवाइयां असर नहीं करतीं। ऐसे में इलाज शुरू करने के बाद उन्हें कुछ दिन ऑब्जर्वेशन में रख कर यह पता लगाया जाता है कि कहीं उन पर दवाओं का दुष्प्रभाव तो नहीं हो रहा है। सही ढंग से दवा के काम न करने पर दवाओं में तबदीली लाई जाती है।
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