हिमाचल में स्काई बस

By: May 12th, 2017 12:02 am

एक मॉडल के रूप में स्काई बस को हिमाचल में लाने का प्रयास अंततः अंतिम चरण में पहुंच कर, नई शुरुआत की रूपरेखा बना रहा है। बेलारूस की कंपनी से हुआ करार काफी मायने रखता है और इसके प्रारूप में शहरी परिवहन का भविष्य स्पष्ट दिखाई देता है। देखना यह है कि जिस स्काई बस परियोजना का प्रकल्प सबसे पहले गोवा में अवतरित हुआ, उसकी सफलता हिमाचल में किस हद तक पहुंचती है। गोवा के लिए बना मॉडल तो शुरू नहीं हो सका, लेकिन धर्मशाला में अंतरराष्ट्रीय तकनीक से इसे संभव करने में शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा एड़ी-चोटी का श्रम कर रहे हैं। वादे के अनुसार अगले तीन वर्षों में जब यह परियोजना पूर्ण होगी तो करीब पंद्रह किलोमीटर के दायरे में यात्री एलिवेटिड ट्रांसपोर्ट का अनुभव कर पाएंगे। पर्वतीय परिवहन में स्काई बस का प्रयोग, पूरे देश के लिए एक ऐसा नवाचार होगा, जिसके दायरे में कई समाधान हैं। वाहनों की भीड़ और रास्तों  की तंगी के बीच स्काई बस के सफल होने की आशा इसकी तकनीक, सरलता और विद्युत संचालन से बढ़ जाती है। आरंभिक लागत और आवश्यक रखरखाव के अलावा स्काई बस के जरिए यातायात सुरक्षित, आरामदायक, तीव्र और कम खर्चीला माना गया है। पहाड़ों पर कम जगह घेरने, प्रदूषण व शोर रहित होने के कारण स्काई बस के माध्यम से यातायात भीड़ कम होगी तथा यह प्रकृति के अनुरूप, एक आवश्यक समाधान की तरह वैकल्पिक परिवहन सेवा का नेटवर्क तैयार कर सकता है। देश में अनूठी पहल करते हुए शहरी विकास मंत्री ने हिमाचली परिदृश्य को मेट्रो रेल खाके के समानांतर खड़ा करने की कोशिश की है। यह इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि मेट्रो लागत के मुकाबले स्काई बस पर एक तिहाई ही खर्च होगा। प्रति किलोमीटर परिवहन लागत में भी स्काई बस सेवा अति सस्ती है। हिमाचल की भौगोलिक परिस्थिति और प्रचुर मात्रा में बिजली उपलब्धता के कारण एरियल परिवहन को जो प्राथमिकता मिलनी चाहिए, उस दृष्टि से रज्जु मार्ग के साथ-साथ स्काई बस का जुड़ना, नई उम्मीद जगाता है। पर्वतीय माल ढुलाई के प्रारूप में रोप-वे की परियोजनाएं बनती हैं, तो इनके साथ-साथ पर्यटन के रास्ते भी खुलेंगे। कनेक्टिविटी के सामान्य अर्थों में प्रस्तावित 61 एनएच व फोरलेन मार्गों के जरिए एक बड़ी क्षमता का निर्माण होने जा रहा है और अगर इसी प्रारूप में आस्था स्थलों को रेलमार्ग के नेटवर्क से जोड़ा जाए, तो पर्यटन क्षेत्र की संभावनाओं में गुणात्मक सुधार आएगा। इन्हीं आशाओं को आगे बढ़ाते हुए वर्तमान सरकार कुछ रज्जु मार्गों को अंजाम तक पहुंचाने में सफल मानी जा सकती है। कमोबेश हर पर्यटक स्थल में रज्जु मार्गों के जरिए मनोरंजन की ऊर्जा व अधोसंरचना विकसित हो सकती है, जबकि उससे भी आगे निकलकर स्काई बस पूरे परिदृश्य  को रोमांच से भर सकती है। सारे देश में मेट्रो ट्रेन की धूम के बावजूद, इसकी संभावना से वंचित हिमाचल की अपनी आर्थिक स्थिति इस लायक नहीं कि इस दिशा में बढ़ा जाए, फिर भी चंडीगढ़ परियोजना में बीबीएन की भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है। हिमाचल का विकास जिस मुहाने पर खड़ा है, वहां से आगे बढ़ने के लिए नवाचार के सेतु चाहिएं। नई तकनीक व विकल्पों की तलाश में विकास के नए स्वरूप का निर्धारण होता है, तो ही राष्ट्रीय फलक पर पहचान बनेगी। हिमाचल में निजी आर्थिक क्षमता का प्रसार, हर नई मांग का संबल बन रहा है। परिवहन क्षेत्र में निजी वाहनों की तादाद और सड़कों पर दबाव जिस रफ्तार से बढ़ रहा है, वहां शहरी परिवहन का विकल्प स्काई बस हो सकती है। बहरहाल पर्वतीय कसौटियों में स्काई बस को रूपांतरित करने की मशक्कत को समझते हुए, इसे आशाजनक परिवर्तन माना जाएगा।

विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं? निःशुल्क रजिस्टर करें !


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App