आईआईटी में पढ़ेगा झोपड़ी में रहने वाला वीरेश

By: Jun 17th, 2017 12:05 am

NEWSजेईई एडवांस्ड में 807वीं रैंक हासिल करने वाले 18 वर्ष के वीरेश एस की कहानी युवाओं को प्रेरित करेगी। वीरेश का जन्म बंगलूर के एक पार्क में बनी छोटी-सी झोपड़ी में हुआ, वह वहीं पले-बढ़े। दिहाड़ी मजदूर के बेटे वीरेश कहते हैं कि वह पढ़-लिखकर पैसे कमाना चाहते हैं, ताकि पांच लोगों के परिवार को पालने के लिए उनकी मां को कंस्ट्रक्शन साइटों पर काम न करना पड़े। वह अपने आंसू नहीं रोक पाए और बोले, अब मेरी बारी है। वीरेश ने टिन की छत और प्लास्टिक की शीटों पर बैठकर पढ़ाई की और यहां तक पहुंचे। उन्हें उम्मीद है कि आईआईटी बांबे या आईआईटी मद्रास में उन्हें जगह मिलेगी। वह रिसर्च फील्ड में जाने से पहले फिजिक्स में पढ़ाई करना चाहते हैं। पहली बार में सफलता न मिलने पर वीरेश निराश नहीं हुए और दूसरी कोशिश में उनकी मेहनत रंग लाई, वह पास हो गए। वीरेश कहते हैं कि वह कहीं भी जाएं, कितना भी कमाएं, लेकिन इस जगह को नहीं छोड़ेंगे। इस जगह से उनकी बहुत-सी खूबसूरत यादें जुड़ी हैं। दक्षिणी बंगलूर के बासवानागुड़ी के एमएन कृष्णा पार्क में वह अपने मां-बाप और भाइयों के साथ रहते हैं। वीरेश के माता-पिता वहां 21 वर्षों से रह रहे हैं और वह 18 साल से। उनके दो छोटे भाई हैं। उनके मां-बाप ने अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए सभी सुविधाएं मुहैया करवाईं। वीरेश ने भी उन्हें कभी निराश नहीं किया।

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