आम होती जाम की समस्या

By: Jun 17th, 2017 12:02 am

(अनुज सन्याल, जवाली, कांगडा़ )

समाज के प्रत्येक वर्ग को प्रभावित करने वाला यातायात जाम प्रदेश में आम बात हो गई है। प्रदेश के किसी भी छोटे या बड़े कस्बे के बाजार में जैसे ही कोई बस स्टाप पर रुकती है तो उसके पीछे गाडि़यों का लंबा काफिला खड़ा हो जाता है तथा इस जाम की स्थिति में वाहन चालकों द्वारा बजाए जाने वाले हार्न मानसिक संतुलन पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। प्रदेश वासियों की बढ़ती समृद्धि के कारण तथा बढ़ते पर्यटन के चलते वाहनों की संख्या बढ़ी है, परंतु इसके अनुपात में सड़कों की चौड़ाई नहीं बढ़ी है। सड़कों के किनारे अतिक्रमण तो हटाया जाता है, पर स्थायी रूप से नहीं। हटाए जाने के कुछ समय बाद ही अतिक्रमण फिर से अपना उग्र रूप धारण कर लेता है। इससे लगने वाले जाम की समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है। आजकल लोग निजी गाडि़यों का प्रयोग अधिक करना पसंद करते हैं। सरकार को सार्वजनिक परिवहन में सुधार कर लोगों को सार्वजनिक वाहनों के अधिकतम प्रयोग के लिए प्रेरित करना चाहिए। सार्वजनिक परिवहन तुलनात्मक दृष्टि से भी कम खर्चीला होता है। लोग सड़कों के किनारों को अपने निजी कार्यों जैसे रेत, बजरी, ईंटें इत्यादि रखने के लिए प्रयोग करते हैं। फलस्वरूप सड़कें तंग हो जाती हैं तथा वाहनों के लिए गुजरना कठिन हो जाता है। सरकार को मार्गों को चौड़ा करने तथा उपमार्गों एवं फ्लाइओवर जैसे वैकल्पिक मार्गों का निर्माण करना चाहिए, ताकि भीड़-भाड़ और जाम की स्थिति से निपटा जा सके और लोग अपने गंतव्य स्थान तक आसानी से पहुंच सकें।

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