उजड़ते गांवों की दास्तां कहता है हनल गांव

By: Jun 20th, 2017 12:02 am

सरला शर्मा लेखिका

चौपाल, शिमला से हैं

आज इस गांव की हालत यह हो गई है कि अधिकतर घर खाली हो गए हैं। अब गांव में गिने-चुने लोग ही रहते हैं। स्कूल और अस्पताल की सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए कई परिजन अपने बच्चों को लेकर नेरवा, चौपाल, शिमला और सोलन चले गए हैं तथा घर में रह गए सिर्फ बुजुर्ग…

हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला की तहसील चौपाल जनपद की पंचायत खद्दर स्थित हनल गांव प्रकृति की गोद में बसा हुआ है। प्रकृति इस गांव के चारों ओर अपना सौंदर्य बिखेरे हुए है। हरे-भरे खेतों में काम करती हुई औरतों की खिलखिलाहट, चूल्हे के करीब बैठे हुक्का पीते किसान, गाय-बैल और भेड़-बकरियों के पीछे दौड़ते बच्चे, पौधों से सेब तोड़ते किशोर-किशोरियां, मक्की की रोटी, दूध-दही, मक्खन और घी की बहुलता इस गांव की शोभा है। पक्षियों की चहचहाहट, लहलहाते हुए हरे-भरे खेत, सेब के बागीचे, रंग-बिरंगे फूलों की खुशबू और प्राकृतिक छटा मनमोह लेते हैं। अपने  खेतों में उगाया हुआ अनाज और (लिंगडू, भूलका, जलगा) जैसी हरी सब्जियां तथा (छतरी, चींचू, बाकटे) जैसी जंगली सब्जियों के साथ भोजन बहुत सात्विक एवं पौष्टिक होता है। गांव के बीच में कुल देवता (विजय देवता जी) का मंदिर है। इस मंदिर में रोज सुबह-शाम पूजा होती है। इस गांव में 20 मकान हैं तथा यहां पर रहने वाले गांववासियों की जनसंख्या 150 है। इस गांव में प्रकृति की देन बहुत है, लेकिन यह गांव सरकार की दी गई सुविधाओं से बहुत दूर है। छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल के लिए तीन किलोमीटर दूर प्राथमिक पाठशाला अंतरावली जंगल के रास्ते से जाना पड़ता है। जंगल के रास्ते से आते-जाते बच्चों को जानवरों का डर रहता है। जंगल में भालू, बाघ, तेंदुए और अन्य जानवर होते हैं। अंतरावली स्कूल में अब इस गांव के सिर्फ गरीबों के बच्चे पढ़ते हैं। गरीबों के वे बच्चे घनेरे जंगल के रास्ते आते-जाते हैं। खद्दर स्थित वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में भी गिने-चुने विद्यार्थी ही पढ़ते हैं।

खद्दर स्कूल जाने के लिए भी विद्यार्थियों को जंगल के रास्ते आना-जाना पड़ता है। यहां बिजली की अस्थायी व्यवस्था है। जब बिजली चली जाती है तो जल्दी आने की संभावना नहीं होती। जैसे ही शाम हो जाती है बिजली की वोल्टेज कम हो जाती है, जिसका कारण ट्रांसफार्मर दूर होना है। यहां से डाकघर तकरीबन 14 किलोमीटर की दूरी पर है। डाक सेवाओं का लाभ गांव के लोग देरी से उठा पाते हैं। कई बार नौकरी के लिए लिखित परीक्षा हेतु रोल नंबर तब पहुंचते हैं, जब लिखित परीक्षा हो चुकी होती है। बैंक संबंधी कार्यों के लिए गांववालों को चौपाल जाना पड़ता है। स्वास्थ्य केंद्र इस गांव से एक तरफ दस किलोमीटर और दूसरी तरफ आठ किलोमीटर की दूरी पर है। लोगों के लिए सबसे बड़ी परेशानी स्वास्थ्य संबंधी है। छोटी-छोटी बीमारियां तो सभी सहन करते हैं तथा घरेलू इलाज से ठीक कर देते हैं, परंतु जब कोई ज्यादा बीमार हो जाता है तो उसे इलाज के लिए चौपाल ले जाना पड़ता है। हनल से लेकर धबास एक मरीज को उठाने में गांववालों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस गांव के लोग बहुत पहले से इस समस्या से जूझ रहे हैं। कभी गर्भवती महिला को, कभी बीमार बच्चों को, तो कभी बीमार बुजुर्गों को इतने दूर के सफर में उठाते आ रहे हैं। गांव के अधिकतर पुरुष कुछ नौकरी करते हैं और कुछ कमाने के लिए गांव से बाहर हैं। जब कोई बीमार होता है तो उसे उठाने के लिए घर पर कोई नहीं मिलता। बुजुर्ग लोग भी इसी वजह से दर्द सहते रहते हैं। आज इस गांव की हालत यह हो गई है कि अधिकतर घर खाली हो गए हैं।

अब गांव में गिने-चुने लोग ही रहते हैं। स्कूल और अस्पताल की सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए कई परिजन अपने बच्चों को लेकर नेरवा, चौपाल, शिमला और सोलन चले गए हैं तथा घर में रह गए सिर्फ बुजुर्ग। समय परिवर्तन के साथ-साथ हनल गांव के लोग भी तरक्की करना चाहते हैं। गांववालों ने खेतों में सेब के पौधे लगाए। इससे लोगों की आर्थिक आवश्यकताओं पर काफी अच्छा असर हुआ। जब सेब की फसल तैयार होती है तो उसे बेचने हेतु सड़क तक पहुंचाने के लिए भारी खर्चे झेलने पड़ते हैं। लोगों ने पुराने मकानों को नया बनाने के लिए पत्थर की छतों को निकाल कर चद्दर की छतें डालीं। छतों के लिए चद्दरें व सीमेंट-रेत आदि मकान संबंधी अन्य वस्तुओं को गांव तक पहुंचाना कठिन है। वहां पर कई बार नवंबर महीने में बर्फ पड़ती है, इसलिए लोग नवंबर से लेकर मार्च तक के लिए राशन और खाने से संबंधित सामान खरीद कर नवंबर में ही वहां पहुंचाते हैं। गांववालों की कोशिशों से गांव में एक छोटी आंगनबाड़ी खोली गई। उसके लिए भी सामान वहां पहुंचाने में दिक्कत होती है।

इसी प्रकार मकान, बिजली, पानी, खाने-पीने, रहन-सहन तथा शादी-त्योहारों से संबंधित सामान वहां तक पहुंचाने के लिए भारी खर्चे उठाने पड़ते हैं। स्कूल, डाकघर, बैंक, अस्पताल इत्यादि इन सभी विशिष्टताओं के लिए ग्रामीणों का जीवन बहुत कठिन हो गया है। ये सभी समस्याएं तभी दूर होंगी जब इस गांव को सड़क से जोड़ा जाएगा। तीन किलोमीटर दूर अंतरावली गांव तक सड़क पहुंचा दी है। अंतरावली से हनल तक सड़क पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन गांववालों का कहना है कि पेड़ों की अधिक कटाई की वजह से वन विभाग सड़क बनाने की अनुमति नहीं दे रहा। पेड़ों की कटाई अधिक होगी, लेकिन इस गांव के ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान होना भी आवश्यक है। सरकार के सार्थक प्रयासों से सड़क अंतरावली तक पहुंचाई गई है, उसी प्रकार तीन किलोमीटर और सड़क को हनल तक पहुंचाने के प्रयास होने चाहिएं। सभी ग्रामीण सरकार से विनम्र आदर सहित निवेदन करते हैं कि इस गांव तक सड़क पहुंचाने के लिए सरकार एक और कदम उठाने की कृपा करे, ताकि इस गांव का विकास हो सके और ग्रामीणों का जीवन स्वस्थ व खुशहाल बने।

भारत मैट्रीमोनी पर अपना सही संगी चुनें – निःशुल्क रजिस्टर करें !


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App