जल्द मिलेगा 131 साल पहले खो चुका 8वां अजूबा

By: Jun 14th, 2017 12:05 am

newsदुनिया में सात अजूबे हैं। इनमें से एक अजूबा ताजमहल की शक्ल में खुद भारत के पास है। इस दुनिया में एक 8वां अजूबा भी है। लगभग 131 सालों की कोशिश के बाद शोधकर्ताओं ने दुनिया के 8वें आश्चर्य का ठिकाना ढूंढ लिया है। शोधकर्ताओं का दावा है कि इस लापता हो चुके 8वें आश्चर्य को वे बहुत जल्द दुनिया के सामने लाएंगे। न्यूजीलैंड के उत्तरी द्वीप पर स्थित रोटोमेहाना झील की गुलाबी और सफेद सीढि़यां 19वीं सदी में पर्यटकों के बीच बड़ा आकर्षण थीं। ये सीढ़ीनुमा आकृतियां प्राकृतिक थीं। माना जाता था कि ये सीढि़यां धरती पर सिलिका (एक किस्म का पत्थर) और धातु की तलछट (सिंटर) का सबसे बड़ा भंडार हैं। 1886 में यहां एक ज्वालामुखी विस्फोट हुआ। ये सीढि़यां इसी विस्फोट में बर्बाद हो गईं। साल 2010 में इस मामले में एक दिलचस्प मोड़ आया। स्विट्जरलैंड के एक संग्रह में एक भूविज्ञानी को कई ऐसी डायरियां मिलीं, जो बहुत पहले खो गई थीं। इस डायरी की मदद से शोधकर्ताओं को रोटेमेहाना झील की विश्व-विख्यात सीढि़यों के ठिकाने का अनुमान लगाने में सहायता मिली। इन सीढि़यों को तलाश करने की मुहिम में जुटे एक शोधकर्ता रेक्स बन ने बताया कि हमने पिछले 12 महीनों में करीब 2500 घंटे का शोध किया है। पिछले 131 सालों से इन सीढि़यों की खोज में जुटे किसी भी अन्य इनसान के मुकाबले हम इसे खोज निकालने के सबसे ज्यादा करीब हैं। जिस डायरी की मदद से यह संभव हो पाया है, वह डायरी डाक्टर सासचा नोल्डेन को स्विट्जरलैंड के बाल शहर में मिली थी। यह डायरी जाने-माने भूविज्ञानी डाक्टर फरडिनेंड वोन हॉसटरर की थी। न्यूजीलैंड सरकार ने 1859 में डाक्टर हॉस्टरर को अपने द्वीपों का सर्वे करने की जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने रोटेमेहाना झील की इन सीढि़यों को भी रिकार्ड किया। शोधकर्ताओं का मानना है कि ज्वालामुखी विस्फोट के कारण रोटेमेहाना झील की सीढि़यां राख से ढक गईं। ये सीढि़यां झील के नजदीक की जमीन में सतह से करीब दस मीटर की गहराई में स्थित हैं।  शोधकर्ताओं का मानना है कि ये सीढि़यां अब भी सही-सलामत हैं। शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि इन्हें फिर से खोज निकाला जा सकता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि स्थानीय जनजाति भी इन सीढि़यों को दोबारा खोज निकालने के प्रयास में साथ दे रही है।

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