टॉपर भी आईटीआई में कर रहे अप्लाई
आईआईटी और आईटीआई भले ही एक ही अक्षर से बने हों, लेकिन दोनों संस्थानों की किस्मत बिलकुल अलग थी। आईआईटी जहां देश का प्रतिष्ठित टेक्निकल संस्थान है, वहीं आईटीआई इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट ऐसे कैंडीडेट्स के लिए माना जाता था, जिनके पास च्वाइस की कमी थी। अब इस ट्रेंड में तेजी से बदलाव हो रहा है। अब आईटीआई में सीट हासिल करने के लिए कंपीटीशन बढ़ गया है। परीक्षाओं में सबसे ज्यादा नंबर स्कोर करने वाले, जिसमें 90 फीसदी वाले कैंडीडेट्स भी आईटीआई में दाखिला लेने के लिए अप्लाई कर रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि परीक्षाओं में टॉप स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स जो कभी आईटीआई ज्वाइन करने के बारे में सोचते भी नहीं थे, वे भी अब आईटीआई में पढ़ने की महत्त्वाकांक्षा रखते हैं। पिछले साल करीब दो हजार स्टूडेंट्स, जिन्होंने 10वीं की परीक्षा में 80 फीसदी से ज्यादा मार्क्स हासिल किए थे, उन्होंने भी आईटीआई ज्वाइन किया। हालांकि आईटीआई ज्वाइन करने वाले बहुसंख्यक कैंडिडेट्स 50 से 60 फीसदी अंक वाले होते हैं। महाराष्ट्र सरकार के स्किल्स डिपार्टमेंट के प्रिंसीपल सेक्रेटरी दीपक कपूर कहते हैं कि हर फैक्टरी प्लांट को बड़ी तादाद में लोगों की जरूरत होती है, जो अपने कार्य के प्रति समर्पित हों और अपने काम को अहमियत दें। लिहाजा इस तरह के स्टूडेंट्स का प्लेसमेंट जरूर होता है। इंजीनियरिंग से पास आउट होने वाले ऐसे बहुत से स्टूडेंट्स हैं, जो बेरोजगार घूम रहे हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स के सामने विकल्प साफ है।
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