धुआं और धूल खाकर दे रहे ड्यूटी

By: Jun 13th, 2017 12:01 am

प्रदेश भर में तैनात टै्रफिक पुलिस कर्मियों की सेहत दांव पर

मटौर —  प्रदेश की सड़कों पर ड्यूटी देने वाले ट्रैफिक पुलिस जवानों से दर्जनों उम्मीदें लोग और महकमे के अफसर करते हैं, लेकिन वे किस हाल में ड्यूटी देते हैं इसकी ओर किसी का ध्यान ही नहीं जाता। वे किस हाल में कड़कती धूप में वाहनों के धुएं के बीच सड़कों पर ड्यूटी देते हैं, शायद इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। प्रदेश के ये टै्रफिक पुलिस कर्मी सड़कों पर केवल धूप में ही नहीं तपते, बल्कि रोजाना सैकड़ों वाहनों का धुआं भी फांकते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह धुआं सेहत के लिए धूम्रपान से भी अधिक घातक होता है। हालांकि पुलिस महकमा हर साल जवानों का मेडिकल भी करवाता है, लेकिन यह भी खानापूर्ति ही नजर आता है। जिला ऊना जहां का तापमान कभी 44 डिग्री तक भी पहुंच जाता है। वहां गर्मी और वाहनों के प्रदूषण के बीच एक मिनट भी कोई एक जगह खड़ा नहीं रह सकता, वहां ये टै्रफिक पुलिस कर्मी डटे रहते हैं। एक मिनट के लिए भी अगर ये इधर से उधर हो जाएं तो न केवल उन्हें एसी रूम में बैठे अफसरों के गुस्से का सामना करना पड़ता है, बल्कि पब्लिक की गालियां भी सुननी पड़ती हैं। दूसरी तरफ पुलिस के आलाधिकारी कहते हैं कि सभी जवानों को मास्क उपलब्ध करवाए गए हैं, लेकिन सवाल यह है कि अगर मास्क दिए गए हैं तो उन्हें न लगाने की वजह क्यों नहीं जानी जाती।

ट्रैफिक पुलिस का डाटा ही नहीं

चौंकाने वाली बात यह है कि शिमला स्थित पुलिस हैडक्वार्टर में  किसी के पास भी ट्रैफिक पुलिस का डाटा नहीं है कि विभाग में कितने ट्रैफिक पुलिस कर्मी हैं और कितने प्रदेश की सड़कों पर ड्यूटी दे रहे हैं। सिर्फ इतनी जानकारी है कि प्रदेश में टोटल 17 हजार पुलिस जवान हैं।

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