ध्यान के समय वश में रखें मन

By: Jun 15th, 2017 12:01 am

दौलतपुर चौक —  क्षेत्र के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल रुद्रानंद आश्रम अमलैहड़ में बुधवार को आश्रम के अधिष्ठाता एवं वेदांताचार्य श्रीश्री 1008 सुग्रीवानंद जी महाराज के सान्निध्य मे चल रही श्रीमद्भागवत कथा को कथाव्यास अवदेश मिश्र महाराज ने विधिवत पूजा-अर्चना एवं मंत्रोच्चारण के साथ विश्राम दिया। इस मौके पर प्रो. उनियाल, प्रो. शिव कुमार, एडवोकेट एसडी शर्मा, सुशील कालिया, सरोज मोदगिल, रुद्रानंद मंडल दौलतपुर चौक के अध्यक्ष राजिंद्र टीटू, नवीन राणा, अधिवक्ता अश्वनी अरोड़ा, प्रिंसीपल पीसी शर्मा, रामकृष्ण शर्मा, संजीव शर्मा सहित हजारों की तादाद में भक्त उपस्थित रहे। सुग्रीवानंद जी महाराज ने कहा कि वृत्ति एक मन का बहाव होता है अर्थात मन चंचल होता है और नींद लेने पर भी भटकता रहता है। मन क्या है कि व्यक्ति के अंतःकरण के भाव में जो उथल-पुथल मची रहती है, उसे मन कहते हैं। भजन के समय में ज्यादा उथल-पुथल होती है, अतः इसे नियंत्रित रखें। अपनी त्रुटियों, कमियों को श्रीमद्भागवत कथा सुनकर दूर करें। पाप पुण्य का भेद समझें। जो अच्छा सुनते हैं, उसे व्यावहारिक जीवन में अपनाओ। राज्य प्राप्ति हेतु पांडवों को वनवास जुआ खेलकर मिला। जब पांडव सब कुछ हार गए तो दुर्योधन ने द्रौपदी को सभी लोगों के सामने सभा में बुलाया। जब जबरदस्ती उसे सभा में ले आए और दुःशासन उसका चीरहरण करने लगा तो द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को पुकारा तो दुःशासन साड़ी खींच-खींच कर थक गया। साड़ी के पहाड़ रूपी ढेर लग गए और बुराई की हार हुई। इस पर अर्जुन एक दम लड़ाई लड़ने के लिए तैयार होकर रथ पर सवार हो गया। उन्होंने भांग तंबाकू, सिगरेट, लहसुन, प्याज छोड़ने का आह्वान किया। गीता के अनुसार जो प्राणी मात्र के लिए रात्रि है, जिसमें पशु, पक्षी, मनुष्य सब सो जाते हैं। साधु उसमें जगता है, क्योंकिं उसे शांत और कृत्तांत वातावरण मिलता है।  जिंदगी में नींद जरूरी है। समय का सदुपयोग करो, दुरुपयोग न करें। जो चीज पहले बड़ी प्यारी लगती है, वो बाद में बुरी लगती है।

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