निजी बीएड कालेजों पर एनसीटीई रूल्ज की मार

By: Jun 1st, 2017 12:01 am

शिमला —  हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पास इस सत्र बीएड 2017-18 के लिए बीएड कोर्स में प्रवेश के लिए आवेदन तो अधिक आए हैं, लेकिन बीएड सीटों में इस सत्र कटौती प्रदेश में हो सकती है। प्रदेश के निजी बीएड कालेजों को इस सत्र एनसीटीई के नियमों के तहत ही सीटें भरने होंगी। प्रदेश में वर्तमान समय में दो सरकारी और 73 के करीब निजी बीएड कालेजों में 8500 सीटें बीएड के दो वर्षीय कोर्स के लिए हैं। वहीं अगर केवल निजी बीएड कालेजों की बात की जाए, तो इनमें 7500 के करीब सीटें हैं।  कालेजों को उतनी ही सीटें भरनी होंगी, जितनी सुविधाएं कालेजों के पास छात्रों के लिए उपलब्ध हैं। ऐसे में कालेजों में इस सत्र सीटें घटना तय है। एनसीटीई की ओर से कालेजों पर निगरानी रखने के लिए पहले ही सभी तरह की जानकारी ऑनलाइन एफेडेविट के माध्यम से कालेजों से ले ली गई है। प्रदेश से भी सभी बीएड कालेजों ने इन एफेडेविट के माध्यम से छात्रों और शिक्षकों की संख्या, कालेज का इन्फ्रास्ट्रक्चर और कितना स्क्वेयर मीटर एरिया कालेज के पास है, क्या-क्या सुविधाएं छात्रों को दी जा रही हैं, यह सारी जानकारी उपलब्ध करवाई है। अब इस जानकारी का पूरा रिकार्ड एनसीटीई के पास है, जिसके चलते किसी भी तरह का फर्जीबाड़ा बीएड कालेज नहीं कर सकते हैं। गत वर्ष भी प्रदेश में एनसीटीई के इन्हीं नियमों के चलते कई निजी कालेजों में अपनी सीटों में कटौती की थी। दो-दो यूनिट चलाने वाले कालेजों ने एक-एक यूनिट ही कालेजों में रखा था। इन्हीं नियमों का असर इस वर्ष भी निजी कालेजों की सीटों पर देखने को मिलेगा। एचपीयू द्वारा इस सत्र 2017 के लिए बीएड प्रवेश परीक्षा पांच जून को करवाई जानी है। इसके बाद काउंसिलिंग की प्रक्रिया पूरी कर सीटें कालेजों में भरी जाएंगी।

एनसीटीई की सीटों को नियम तय

बीएड में 50 छात्रों का सेक्शन है, तो कालेज के लिए 2500 वर्ग मीटर जमीन चाहिए। इसमें 1500 वर्ग मीटर निर्मित क्षेत्र होगा, जबकि 1000 वर्ग मीटर जमीन लॉन, खेल के मैदान सहित दूसरी गतिविधियों के लिए होगी। 200 से अधिक और 300 छात्रों के एनुअल एडमिशन के लिए कालेज के पास कम से कम 3500 वर्ग मीटर जमीन होनी चाहिए। जो बीएड कालेज 16 दिसंबर 2014 के पहले से चल रहे हैं, वहां 100 छात्रों के अतिरिक्त सेक्शन के लिए 500 वर्ग मीटर निर्मित क्षेत्र बढ़ाना होगा। इन कालेजों पर अतिरिक्त भूमि की शर्त लागू नहीं होगी। बीएड और एमएड दोनों ही पाठ्यक्रम चलाने के लिए 3000 वर्ग मीटर जमीन होनी चाहिए, जिसमें 2000 वर्ग मीटर निर्मित क्षेत्र होना अनिवार्य है।


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