पुलिस के पास धुआं जांचने के यंत्र तक नहीं

By: Jun 2nd, 2017 12:15 am

प्रदेश में वाहनों की प्रदूषण चैकिंग महज औपचारिकताएं

newsशिमला— हिमाचल में वाहन प्रदूषण चैकिंग के नाम पर मात्र औपचारिकताएं ही निभाई जा रही हैं। हिमाचल में ही करीब 12 लाख वाहन पंजीकृत हैं, जो यहां की सड़कों पर दौड़ते हैं। इसके अलावा हजारों वाहन बाहरी राज्यों से हिमाचल आते हैं। इन सभी  का  प्रदूषण नियंत्रण में है, इसको कोई भी सुनिश्चित नहीं कर रहा। पुलिस, परिवहन विभाग खुद प्रदूषण मापक यंत्र ही उपलब्ध नहीं हैं, जिसके द्वारा स्पॉट पर वाहन प्रदूषण की जांच हो सके। ये दोनों विभाग मात्र वाहन प्रदूषण जांच केंद्रों से जारी वैल्यू सर्टिफिकेट को मानकर ही चैकिंग कर चालान की प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं।  जानकारी के तहत प्रदेश भर में वाहन प्रदूषण चैकिंग के लिए परिवहन विभाग द्वारा 67 प्रदूषण चैकिंग केंद्र अधिकृत किए गए हैं। वही, वाहनों की बात करें तो हिमाचल में करीब 12 लाख से ज्यादा परिवहन विभाग के पास पंजीकृत हैं। वहीं हजारों वाहन हर रोज बाहरी राज्यों से हिमाचल आते है। नियमानुसार वाहनों की प्रदूषण नियंत्रण केंद्रों में नियमित समय पर जांच करना जरूरी है,लेकिन यह कोई सुनिश्चित नहीं कर रहा है कि सभी वाहनों की नियमित जांच हो। राज्य में दौड़ रहे सभी वाहनों के पास प्रदूषण प्रमाण पत्र (पीयूसी) है कि नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है। वहीं, पुलिस व परिवहन विभाग प्रदूषण जांच केंद्र पर ही वाहनों के प्रदूषण जांच के लिए निर्भर है। पुलिस व परिवहन विभाग के पास ऐसा कोई यंत्र नहीं है, जिसके द्वारा स्पॉट पर ही वाहन प्रदूषण का पता चल सके। यह काम पुलिस, परिवहन विभाग और प्रदूषण बोर्ड का है, लेकिन सभी विभाग प्रदूषण के नाम पर मात्र औपचारिकता ही निभा  रहे हैं। कुल मिलाकर हिमाचल में वाहनों के प्रदूषण  के नाम पर केवल औपचारिकता ही निभाई जा रही है।  उल्लेखनीय है कि एनजीटी ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए संबंधित विभागों को आदेश जारी किए थे कि वाहनों के प्रदूषण की जांच नियमित की जाए, मगर अभी भी प्रदेश में पुराने ढर्रे पर ही जांच की प्रक्रिया चल रही है। बीते वर्ष हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, परिवहन विभाग और पुलिस विभाग द्वारा संयुक्त रूप से जांच अभियान चलाया गया था। इस अभियान के तहत संबंधित विभागों के कर्मियों ने  वाहन प्रदूषण मापक यंत्र का प्रयोग किया था, जिसके माध्यम से स्पॉट पर ही वाहन प्रदूषण की जांच हो सके। हैरत की बात है कि इतना समय बीत जाने के बाद भी संबंधित विभागों को इस तरह के यंत्र उपलब्ध नहीं करवाए जा सके हैं, जिससे सड़कों पर ही वाहनों में प्रदूषण की जांच हो सके। यहां बताते चलें कि प्रदेश में अभी तक केवल मात्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास ही इस तरह के यंत्र उपलब्ध हैं।


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