बरसात में बहने वाली खड्डों पर बनेंगे डैम

By: Jun 28th, 2017 12:02 am

आईपीएच विभाग ने तैयार किया प्रस्ताव, 300 करोड़ की डीपीआर सरकार को भेजी

हमीरपुर— बरसाती उफान वाली सूखी खड्डों पर आईपीएच विभाग डैम बनाएगा। अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित बांधों का पानी सिंचाई तथा पेयजल के लिए उपयोग में लाया जाएगा। इसके लिए 300 करोड़ की डीपीआर तैयार कर राज्य सरकार को भेजी गई है। हालांकि इसके लिए पुरातत्त्व विभाग और टेक्निकल मंजूरी लेना जरूरी है। योजना पर मुहर लगी तो अधिकतर समय सूखी रहने वाली राज्य की खड्डों पर विशालकाय चैक डैम बनेंगे। सरकार को भेजे गए प्रोपोजल में मंडी, बिलासपुर, हमीरपुर तथा कांगड़ा की खड्डों को शामिल किया गया है। जाहिर है कि इन क्षेत्रों में तीन दर्जन के करीब खड्डें सिर्फ बरसात में रौद्र रूप दिखाती हैं। विभाग ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि इन खड्डों पर भूकंपरोधी निर्माण से जलाशय बनाए जा सकते हैं। मंडी तथा हमीरपुर के सीमांत क्षेत्र की अधिकतर खड्डें अक्तूबर से जून तक सूखी रहती हैं। जुलाई से लेकर सितंबर तक खड्डों में बरसात का पानी उफान पर रहता है। इस पानी का भंडारण कर नए सिस्टम से पानी को पेयजल तथा सिंचाई के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। जलाशयों का निर्माण होने के बाद सिंचाई और पेयजल की समस्या को राहत मिलेगी। गर्मियों के मौसम में पेयजल संकट के दौरान डैम का पानी सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लिए वरदान साबित हो सकता है। जलाशयों के निर्माण से खड्डों का अवैध खनन रुक जाएगा। इसके अलावा बरसात में खड्डों के उफान से होने वाला भू-कटाव भी रुक सकता है। बताते चलें कि मंडी जिला की धर्मपुर, सरकाघाट तथा अवाहदेवी क्षेत्रों में पेयजल की भारी दिक्कत है। इसी तरह हमीरपुर जिला के भोरंज, टौणीदेवी तथा सुजानपुर क्षेत्र में पेयजल तथा सिंचाई सुविधा की दरकार है। कांगड़ा जिला के चंगर क्षेत्र, थुरल, आलमपुर तथा जयसिंहपुर में सूखी खड्डें बरसात में उफान पर आती हैं। इन क्षेत्रों में भी सिंचाई योजना की दरकार है।

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