मंत्रोच्चरण का शुद्धिकरण जरूरी

By: Jun 3rd, 2017 12:01 am

शक्तिपीठों में संस्कृत श्लोकों के लिए शंकराचार्य ने की पैरवी

कांगड़ा —  हिमाचल प्रदेश के शक्तिपीठों में मंत्रोच्चारण व संस्कृत के श्लोकों के शुद्धिकरण की पैरवी द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अच्युनानंद तीर्थ जी महाराज ने की है। उनका कहना है कि यहां जो संस्कृत के श्लोक के मंत्रोच्चारण पुजारियों द्वारा किया जाता है, उसमें भाषा की शुद्धता की जरूरत है। इसके लिए सरकार कोई ठोस कदम उठाए या द्वारका शारदा पीठ को यह जिम्मेदारी सौंपे। यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में शंकराचार्य ने कहा कि संस्कृत के श्लोकों की शुद्धि के साथ-साथ मंदिरों की सफाई व्यवस्था को भी दुरुस्त करने के लिए कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में पिछले दो दशकों से नशे की प्रवृत्ति बढ़ी है और 14-15 साल के बच्चे भी नशे का शिकार हो रहे हैं। इसलिए वह कांगड़ा से गुरुकुल खोलने की शुरुआत कर रहे हैं, ताकि देवभूमि के बच्चे संस्कारित हों और नशे से दूर रहें। साथ ही दक्षिण सैली में भव्य मंदिर का निर्माण भी यहां किया जा रहा है, जिसके तीन शिखर 108 फुट ऊंचे होंगे और करीब एक करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस मंदिर का 34 फुट तक निर्माण हो चुका है। शंकराचार्य ने कहा कि सरकार गौवंश को राष्ट्र पशु घोषित करें इसके लिए प्रयास जारी रहेंगे। उन्होंने शक्ति स्थलों को पवित्र नगरी घोषित करने की मांग की। उनका कहना है कि हिमाचल प्रदेश में मांस-मदिरा की दुकानें शक्तिपीठ व स्कूलों से दस किलोमीटर दूर बनाई जाएं। शंकराचार्य ने कहा कि कश्मीर में 2000 सैनिक व 10 हजार नागरिक अपना बलिदान दे चुके हैं, अब पाकिस्तान से खुला युद्ध करने की जरूरत है।

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