मात्र भीड़ नहीं पर्यटन

By: Jun 30th, 2017 12:02 am

मैदानी राज्यों में गर्मियों की छुट्टियों ने इस साल पर्यटन और भीड़ के बीच अंतर मिटा दिया। हिमाचल इस क्षमता में अपने भविष्य की सौगात देख सकता है या अकुशल प्रबंधन के कारण नकारात्मक प्रचार इस भीड़ से निकल सकता है। हिमाचल में पर्यटन की बाढ़ को हम अपनी क्षमता में फिलवक्त नहीं समा सकते, इसलिए इस साल के आंकड़ों की समीक्षा होनी चाहिए। प्रदेश की आबादी से दो या तीन गुना अधिक सैलानियों की आमद का दस्तूर अगर निरंतर बढ़ता रहा, तो इससे स्थानीय जीवनशैली अप्रभावित नहीं रह सकती। पर्यटन सीजन और सैलानियों के सीजन में अंतर समझना होगा, क्योंकि पर्यटक केंद्र में भीड़ ही बढ़ रही है। पर्यटन के मूल्य और मूल्यों का पर्यटन नदारद है। शिमला के माल रोड में पर्यटकों की चहल-पहल के साथ एक हद तक ही आनंद समझ में आता है, लेकिन भीड़ बन जाने का खामियाजा अब राजधानी को भी भुगतना पड़ रहा है। स्मार्ट सिटी के प्रारूप में शिमला व धर्मशाला जैसे शहरों को अपनी पर्यटन क्षमता का मूल्यांकन इस दृष्टि से करना चाहिए ताकि यह रौनक कहीं बदरंग न हो जाए। कमोबेश हर पर्यटक स्थल में मनोरंजन की वजह, उसकी शालीनता, सौम्यता व दृश्यावलियों के साथ रू-ब-रू होने की अदा है। ऐसे में अगर भीड़ और अनियंत्रित ट्रैफिक के कारण हिमाचली दिनचर्या ही बाधित हो जाए, तो इस कुरूपता को स्वीकार कैसे करेंगे। प्रदेश हाई कोर्ट ने शिमला में यातायात के इसी दबाव और तनाव का संज्ञान लेते हुए समिति का गठन किया है। अदालत के दिशा निर्देशों को समझते हुए अगर ट्रैफिक का खाका बने, तो कुछ हद तक राहत का पैगाम मिलेगा। माननीय अदालत ने फ्लाईओवर व एलिवेटिड रोड बनाने की संभावनाओं के अक्स में विकल्प तराशने का निर्देश देकर हिमाचली विकास की मंजिल बताई है। इसे समूचे राज्य के परिप्रेक्ष्य में देखें तो पर्यटन सीजन के कारण ट्रैफिक का यह हाल कमोबेश हिमाचल के हर प्रवेश द्वार से हर शहर और कस्बे के भीतर तक देखा जाता है। बेशक हमें अपनी सड़कों की चौड़ाई बढ़ानी है या परिवहन के तरीकों में इजाफा करना होगा, लेकिन अब यह सोचने का समय आ गया है कि पर्यटन नीति को नए संदर्भों और चुनौतियों में समझें। इस साल कश्मीर समस्या तथा उत्तराखंड के हालात ने पर्यटकों की दिशा में हिमाचल की संभावना तो बढ़ा दी, लेकिन क्षमता के लिहाज से हमें अपनी खामियां दूर करनी होंगी। पर्यटन क्षमता का विकास नए व कम चर्चित क्षेत्रों को मुख्य धारा में लाकर ही होगा। इसके लिए ग्रामीण पर्यटन को समझना होगा तथा इसका एक प्रारूप तैयार करके सर्वप्रथम मुख्य मार्गों को अहमियत देनी होगी। प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम एक पर्यटन गांव के विकास को विधायक प्राथमिक योजना से जोड़ना होगा। इसके अलावा मुख्य मार्गों के बीस से पच्चीस किलोमीटर के फासले पर पर्यटन सुविधा, मिनी हाट बाजार तथा स्थानीय उत्पाद केंद्र विकसित करने होंगे जहां कई विभाग पार्टनर की भूमिका निभाएंगे। हिमाचल के हर जिला में कम से कम एक मनोरंजन या वाटर पार्क, कृत्रिम झील, ईको टूरिज्म साइट या साइंस सिटी का विकास करके, पर्यटन को नए सिरे से परिभाषित कर सकते हैं। युवा पर्यटकों के नक्शे पर ट्रैकिंग के जुनून को देखते हुए पर्वतारोहण संस्थान व वन विभाग को अपना-अपना आधार बढ़ाना होगा। इसी तरह हिमाचल के तमाम डाक बंगलों को कम से कम पर्यटन सीजन के दौरान, एक केंद्रीयकृत पंजीकरण प्रणाली से जोड़कर अतिरिक्त आवासीय व्यवस्था का प्रबंध करना होगा। बढ़ते सैलानियों की शुमारी में हिमाचल को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत नए परिसर, बाजार, सैरगाह तथा हिल स्टेशन के निर्माण की एक विस्तृत रूपरेखा बनानी होगी। मौजूदा पर्यटक व धार्मिक स्थलों की कनेक्टिविटी में इजाफे के साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इन केंद्रों से दस-पंद्रह किलोमीटर पहले ही वाहनों की पार्किंग की जाए और इससे आगे सार्वजनिक परिवहन, रज्जुमार्ग, एस्केलेटर, पैदल पुल या स्काई बस द्वारा सैलानियों की सुविधाओं व अनुभव में विविधता लाई जाए। प्रदेश के मंदिर परिसरों के साथ आवासीय व्यवस्था का ढांचा विस्तृत होता है, तो बढ़ती सैलानी भीड़, यात्रियों के रूप में रात्रि विश्राम कर पाएगी।

भारत मैट्रीमोनी पर अपना सही संगी चुनें – निःशुल्क रजिस्टर करें !


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App