राजधानी में पर्यावरण बचाने के लिए दौड़

By: Jun 6th, 2017 12:05 am

शिमला – हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस 2017  पश्चिमी हिमलायन सम-शितोषण तरू वाटिका  पॉटर हिल, शिमला में  मनाया गया । इस अवसर पर पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए दौड़ और प्रकृति सैर का आयोजन भी किया गया, जिसे संजीवा पांडेय, प्रधान मुख्य अरण्यपाल, वन विभाग द्वारा हरी झंडी दिखा कर रवाना किया गया । प्रकृति के लिए दौड़ के अलावा चित्रकला और स्किट  प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया ।  इस अवसर पर पांडेय ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकृति को समर्पित दुनिया भर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है। पर्यावरण और जीवन का अटूट संबंध है फिर भी हमें अलग से यह दिवस मनाकर पर्यावरण के संरक्षण, संवर्धन और विकास का संकल्प लेने की आवश्यकता है।  उन्होंने कहा कि वास्तव में समाज तथा व्यवस्था की अनदेखी और पर्यावरण के प्रति असम्मान की भावना ने ही संसाधनों तथा पर्यावरण को सर्वाधिक हानि पहुंचाई है। उसके पीछे पर्यावरण लागत तथा सामाजिक पक्ष की चेतना के अभाव की भी भूमिका है। इन पक्षों को ध्यान में रख कर ही विश्व पर्यावरण दिवस पूरे विश्व के साथ-साथ भारत में भी मनाया जाता है।  इसी कड़ी में संस्थान द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों आयोजन किया गया, जिसमें फोटोग्राफी प्रतियोगिता, नारा लेखा प्रतियोगिता और चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । फोटोग्राफी ओर नारा लेखन प्रतियोगिताओं में प्राप्त प्रविष्टियों में से पांच उत्कृष्ट प्रविष्टियों को भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता हेतु भेजा गया, जिसका आयोजन वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में पांच जून राष्ट्रीय स्तर पर देहरादून में किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्यातिथि डा. जीएस गोराया, प्रधान मुख्य अरण्यपाल (वन्य-जीव), हिमाचल प्रदेश ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि आधुनिक युग में वायु, जल, मिट्टी, तापीय, औद्योगिक, समुद्रीय, रेडियोधर्मी, नगरीय प्रदूषण, प्रदूषित नदियां इत्यादि जलवायु परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिंग के खतरे की  दस्तक दे रहे हैं। जीवन को बेहतर और अधिक प्राकृतिक बनाने के लिए पूरे विश्वभर में पर्यावरण में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस अभियान की स्थापना की गई। आजकल, पर्यावरण का मुद्दा बहुत बड़ा मुद्दा है, जिसके बारे में सभी को जागरूक होना चाहिए और इस परेशानी का सामना करने के लिए अपने सकारात्मक प्रयासों को करना चाहिए।  इस के साथ ही संस्थान के वैज्ञानिक, डा. वनीत जिष्टू द्वारा संस्थान द्वारा पॉटर हिल, शिमला में विकसित की जा रही पश्चिमी हिमालयी सम-शीतोष्ण तरू वाटिका के बारे में  जानकारी दी ।

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