शब्द वृत्ति
रक्तदान
( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर )
रक्तदान सर्वोच्च है, इससे बड़ा न दा,
कतरा कतरा खून का , देता जीवन दान।
सेवा कार्य महान है , असली मानव धर्म,
बन आई हो जान पर, वह ही समझे मर्म।
बालक होश गवां रहा, परिजन हुए हताश,
लाल बंद न फूंक दी, फिर जीने की आस।
दानी को चास मिल रहा, चैन, शांति, संतोष,
रक्तदान भरता सदा, जीवन के प्रति जोश।
महापुण्य है, हानि का वहम न पालें आप,
दानी पर प्रभु की कृपा, मिट जाता संताप।
दुर्घटना में वह गया, बहु बहन का खून,
मानव सेवा रक्त की , देती बड़ा सुकून।
नीलम कब से बांटती, कुल्लू में सौगात,
है अत्यंत महत्त्व का सर्वोत्तम यह काम।
मुर्दा को जिंदा किया, कीमत तो पहचान,
अहोभाग्य ,खुश किश्मती, हम भी दे कुछ दान,
रिश्ता बनता खूद का, है यह कार्य महान।
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