श्री अमरनाथ यात्रा

By: Jun 24th, 2017 12:08 am

asthaआषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ  के पानी की बूंदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूंदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ   का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है…

अमरनाथ हिंदुओ का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह कश्मीर राज्य के श्रीनगर शहर के उत्तर-पूर्व में 135 सहस्रमीटर दूर समुद्रतल से 13600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इस गुफा की लंबाई (भीतर की ओर गहराई) 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। गुफा 11 मीटर ऊंची है। अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। यहां की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ  से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ  के पानी की बूंदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूंदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ  का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ  का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है, जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग-अलग हिमखंड हैं। इस साल 29 जून से अमरनाथ यात्रा शुरू हो रही है। इस बार यह यात्रा 29 जून से 7 अगस्त तक चलेगी। अमरनाथ यात्रा के लिए एडवांस पंजीकरण एक मार्च से शुरू हुआ था। अब तक कई लाख श्रद्धालुओं ने देशभर मे पंजीकरण करवा लिया है। सरकार की कोशिश होगी कि यात्री जम्मू से सुरक्षा दस्ते के साथ ही यात्रा पर जाएं। अधिकतर श्रद्धालु सीधे जम्मू में रुके बिना अपने वाहनो से पहलगाम व बालटाल पहुंच जाते हैं। सुरक्षा एजंसियों प्रशासन व अन्य विभागो में बेहतर तालमेल कायम किया जा रहा है। अमरनाथ के दर्शन हर कोई नहीं कर सकता। 13 साल से कम और 75 साल से अधिक उम्र के श्रद्धालु इस यात्रा में हिस्सा नहीं लेते। इसके अलावा जो दिल के मरीज हैं, उन्हें भी यात्रा की इजाजत नहीं दी जाती। इस धार्मिक यात्रा के लिए अमरनाथ श्राइन बोर्ड की ओर से स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों की टीम ही मेडिकल सर्टिफिकेट देती है। बाबा बर्फानी की यात्रा धार्मिक दृष्टि से तो महत्त्वपूर्ण है ही यहां के रोचक नजारे भी सबका मन मोह लेते हैं। पांच किमी की लंबी दुर्गम पैदल यात्रा करने के बाद जब व्यक्ति 13600 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में हिमलिंग के दर्शन करता है तो उसकी सारी थकान दूर हो जाती है। अमरनाथ यात्रा, जिसे अमरत्व की यात्रा भी कहा जाता है, में प्रथम बार भाग लेने वालों के लिए तो इतने बड़े हिमलिंग के दर्शन ही तन-मन को शांति पहुंचाने वाले हैं।

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