सरकारी स्कूलों में हों नर्सरी क्लासेज

By: Jun 12th, 2017 12:03 am

newsकुल्लू —  देश के सरकारी स्कूलों में प्री-नर्सरी, नर्सरी और केजी कक्षाएं शुरू करने से शिक्षा में गुणवत्ता आएगी। ऐसी एक रिपोर्ट देश भर के करीब 450 शिक्षकों ने शिक्षाविदों के साथ  मंथन कर कुल्लू में तैयार की। यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी जाएगी। जिला कुल्लू के जरड़ डाइट में ऑल इंडिया सेकेंडरी टीचर्स फेडरेशन का 26वां राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया। सेमिनार का आयोजन हिमाचल प्रदेश राजकीय शिक्षक संघ ने किया था। दो दिवसीय सेमिनार  का समापन पूर्व मंत्री सत्य प्रकाश ठाकुर ने किया। इस दौरान देश भर से पहुंचे शिक्षकों के मुताबिक सरकारी स्कूलों का ढांचा मजबूत हो, इसलिए इन स्कूलों में भी निजी स्कूलों की तर्ज पर प्री-नर्सरी, नर्सरी और केजी की कक्षाएं चलाई जानी चाहिएं। इससे शिक्षा में गुणवत्ता आएगी। इस मौके पर एआईएसटीएफ के हरियाणा अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा, पंजाब के अध्यक्ष सुरेंद्र, तमिलनाडु के अध्यक्ष पी. इलेंगोवॉल, बिहार के अध्यक्ष केदारनाथ पांडे, इंद्रशेखर मिश्रा जनरल सेक्रेटरी, रणवीर सिंह ढिल्लों, जयदेव मंडी, संजीव मंडी, यशपाल, सरोज कांगड़ा, जिला अध्यक्ष शिमला, सुनील वर्मा, नरेश महाजन आदि मौजूद रहे।

सरकारी स्कूलों में हो इंग्लिश मीडियम

सरकारी स्कूलों में इंगलिश मीडियम को भी लागू करने के भी राष्ट्रीय स्तरीय सेमिनार में सुझाव सामने आए हैं।  सरकारी स्कूलों में छह साल के बच्चे को पहली कक्षा में दाखिल करने की परंपरा है, लेकिन निजी स्कूलों में अढ़ाई साल के बच्चे को ही प्री-नर्सरी और नर्सरी कक्षाओं में दाखिल कर लिया जाता है। शिक्षकों के अनुसार आज के वैज्ञानिक युग में बच्चों के सोचने और समझने की क्षमता जल्द ही बढ़ जाती है। ऐसे में सरकारी स्कूलों में भी इस प्रकिया को अपनाने की जरूरत है।

फेल न करने से गिरा शिक्षा का स्तर

शिक्षकों का मानना है कि जब से बच्चों को आठवीं तक फेल न करने की प्रक्रिया शुरू हुई है, तब से लेकर शिक्षा के स्तर में और ज्यादा गिरावट देखने को मिली है। छात्र का विकास छोटी कक्षाओं में ज्यादा होता है, लेकिन यहां फेल नहीं करने से उस बच्चे का मानसिक विकास नहीं हो पाता है और ऐसे में उसकी शिक्षा का स्तर भी नहीं उठ पाता है।

पांच कक्षाओं के लिए चाहिए पांच टीचर

पांच कक्षाओं में पांच अध्यापक होने जरूरी हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में निखार आएगा। शिक्षकों की कमी से शिक्षा का स्तर कमजोर होने पर शिक्षकों ने चिंता जताई है।

सरकारों ने गिराया शिक्षा का स्तर

देश भर के शिक्षकों का कहना है कि सरकार की नीतियों से शिक्षा का ढांचा खराब हो गया है। वर्तमान में सरकारी स्कूलों पर सरकार की नीतियां भारी पड़ रही हैं।

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