सल्याणा छिंज पर अतिक्रमण भारी
पंचरुखी — 1848 से मनाई जाने वाली ऐतिहासिक सल्याणा छिंज का अपना ही वजूद रहा है। स्थानीय लोगों द्वारा शुरू यह मेला वर्षों तक लोग करवाते रहे। इसके बाद पंचायत सल्याणा ने इसका आयोजन करवाना शुरू किया। मेले में लगभग 2000 से अधिक छोटी-बड़ी दुकानों सहित बड़े झूले सजते थे, लेकिन समिति घाटे का रोना रोती रही व मेला फिर पंचायत गदियाड़ा को सौंप दिया। मेले की प्रसिद्धी तो बढ़ गई पर मेला स्थल अवैध कब्जों से सिकुड़ता चला गया। वर्षों तक मेला चलता रहा पर वक्त के साथ मेला स्थल में कोई विकास नहीं हुआ और न ही अवैध कब्जे हटे। सरकार ने यहां स्वास्थ्य केंद्र, पुलिस चौकी व लोक निर्माण विभाग बनाकर इसे खत्म कर दिया है। वर्षों से लोग मेले का स्तर बढ़ाने की मांग करते रहे। अखिरकार युवा विधायक यादविंद्र गोमा के अथक प्रयासों से मेले का स्तर बड़ा व इसे जिला स्तरीय दर्जा मिल गया। प्रशासन ने इसे अपने हाथों ले लिया व इस वर्ष लाखों रुपए मेले से कमा लिए। प्रशासन ने मेले में दावा किया कि मेला स्थल का सुधार होगा। जहां यहां स्टैज बनाया जाएगा, वहीं अखाड़े को बड़ा किया जाएगा, वहीं मेला स्थल पर हुए अबैध कब्जों को हटा कर विशाल मेला मैदान जनता को दिया जाएगा। साथ में यहां शौचालय का निर्माण भी किया जाएगा। प्रशासन के वादों व दावों से जनता में आस बंधी कि मेले का सुधार होगा व मेला समाप्त होने पर कार्य आरंभ हो जाएंगे, लेकिन तीन माह बीत चुके हैं पर प्रशासन द्वारा कार्य तो दूर मेले से जेब भरने के बाद यहां का रुख तक नहीं किया है। जनता ने मांग की है कि मेला मैदान का विकास धीरे- धीरे होता रहेगा पर पहले प्रशासन को मेला मैदान से अवैध कब्जे छुड़वाकर मैदान में चारदीवारी लगनी चाहिए।
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