सुन्नी पी रहा मटमैला पानी

By: Jun 4th, 2017 12:05 am

बेंशवा नाला से होने वाली पेयजल सप्लाई में आ रहा कचरा, अरसे से नहीं हुई भंडारण टैंक की सफाई

सुन्नी— शिमला ग्रामीण की तहसील सुन्नी में पेयजल किल्लत के साथ लोगों को गंदा पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। सुन्नी, बसंतपुर, मंढोड़घाट, जूनी गांव में लोगों को पहले ही पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वहीं अब उपभोक्ताओं को मटमैला पानी पीने को बाध्य होना पड़ रह है।  नगर पंचायत सुन्नी में बहाव पेयजल योजना बेंशवा नाला से होने वाली पेयजल आपूर्ति में लोगों को गंदा पानी आबंटित किया जा रहा है। कई दिनों से आ रही गंदे पानी की आपूर्ति पर अधिकारियों को अवगत करवाने के बावजूद भी, जब कोई समाधान नहीं हो पाया तो लोगों ने स्वयं भंडारण टैंक का मुआयना किया। उन्होंने बताया कि भंडारण टैंक में फिल्टर को अरसे से बदला ही नहीं गया है। टैंक में नाले का पानी सीधा जोड़ा गया है, जिससे टैंक में पानी काला एवं कीचड़युक्त है। लोगों का कहना है कि, जो पानी जानवरों के पीने लायक भी नहीं है, उसे इनसानों को पिलाया जा रहा है। यहां बताना आवश्यक है कि सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य मंडल सुन्नी के अंतर्गत विभिन्न बहाव पेयजल योजनाओं में फिल्टर टैंक ही नहीं बनाए गए हैं। कई योजनाओं में सीधे नाले से ही पानी जोड़ा गया है, जहां फिल्टर लगाए गए हैं। उन्हें भी अरसे से बदला नहीं गया है। जानकारी के अनुसार बसंतपुर में भी बहाव पेयजल योजना में फिल्टर ही नहीं लगाया गया है। कई वर्षों से लोग नाले का सीधा जोड़ा गया पानी ही पी रहे हैं। वहीं क्षेत्र की कई पंचायतों में लोगों को पीने का पानी ही नहीं मिल रहा है। बसंतपुर में लोगों को पेयजल किल्लत का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ रहा है। बहाव पेयजल योजना बसंतपुर चकला में हफ्ते में केवल एक बार ही पूरा पानी मिल रहा है। शेष दिनों में कभी दूसरे ओर तीसरे दिन पानी आता तो है, पर केवल एक या दो ही बाल्टियां मिल पाती हैं। वहीं पानी की लीकेज भी जगह-जगह हो रही है, जिसकी ओर विभाग ध्यान नहीं देता है। हालांकि सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य मंडल में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कमी भी देखने को मिल रही है। अधिशाषी अभियंता का पद कई महीनों से रिक्त पड़ा है। इस पद का अतिरिक्त कार्यभार दूसरे अधिकारी को सौंपा गया है। इसी तरह कनिष्ठ अभियंता का पद कई सालों से रिक्त चल रहा है। पूरे उपमंडल में चार पदों पर एक ही अधिकारी कार्यरत है। इस  बारे में अधिकारियों ने बताया कि सुन्नी पेयजल योजना में फिल्टर लगाए गए है। स्रोत में ग्रामीण ब्यूल के छींटे दबाते है, जिस कारण पानी गंदा आ रहा है।

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