‘हिमसो-1685’ किसानों के लिए वरदान

By: Jun 13th, 2017 12:05 am

पालमपुर – प्रदेश कृषि विवि के वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की एक बेहतरीन किस्म तैयार की है, जो कि प्रदेश के किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित होगी। प्रदेश कृषि विवि ने सोयाबीन की ‘हिमसो-1685’ हिम पालम हरा सोया-1 का अनुमोदन किया गया है। इस किस्म की खासियत है कि यह फ्राग आई, पत्ता धब्बा, फली झुलसा, जीवाणु पस्च्यूल और भूरा धब्बा रोग प्रतिरोधी है। इसकी उपज 20 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के लगभग है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह हरा सोया की तरह हरे दानों वाली किस्म है, जो प्रदेश के वर्षा आधारित मध्यवर्ती क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसके पत्तों, तनों व फलियों पर हल्के भूरे रंग के बाल होते हैं व इसके पत्ते फसल पकने तक हरे ही रहते हैं। हिमसो-1685 की फलियां हल्की भूरी और दाने हरे रंग के होते हैं। इसके दाने हरा सोया की अपेक्षा अधिक मोटे होते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इस किस्म के दानों को मटर की तरह भी प्रयोग में लाया जा सकता है और सुखाकर दाल की तरह भी प्रयोग किया जा सकता है। यह किस्म 130-134 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसके बीजों में 20.1 प्रतिशत तेल और 30.6 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा होती है। कृषि विवि के कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने कहा कि अनेक रोग प्रतिरोधी  सोयाबीन की नई किस्म का अनुमोदन किया गया है।

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