हिमाचल को पानी बचाने का गुरु मंत्र

By: Jun 2nd, 2017 12:01 am

शिमला  —  जलवायु परिवर्तन व जल संकट इस सदी की बड़ी चुनौती है, जिससे सामूहिक प्रयासों से ही निपटा जा सकता है। इस मामले में वीरभद्र सरकार को कड़ाई से कदम उठाने चाहिएं, ताकि हिमाचल में यह संकट पैदा न हो। राज्यपाल की तरह सरकार को भी जल पुरुष ने गंभीरता बरतने की नसीहत दी है। देश भर में जल पुरुष के नाम से पहचाने जाने वाले मशहूर पर्यावरण प्रेमी, समाजसेवी मैगसेसे अवार्ड से सम्मानित राजेंद्र सिंह ने प्रदेश में जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने के लिए हिमाचल सरकार को सामुदायिक नेतृत्व करते हुए जल साक्षरता अभियान चलाने का आग्रह किया है। इस साक्षरता अभियान के तहत लोगों को पानी की एहमियत और पानी के संरक्षण को लेकर जागरूक करने की बात उन्होंने कही। शिमला में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से कनेक्टिंग पीपल ई-नेचर आधारित जल संरक्षण कार्यशाला में जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने जल को लेकर देश भर में पैदा हो रहे जल संकट को एक नए तरह की आपदा की संज्ञा दी है, जो देश के लिए बड़ा खतरा है। इससे निपटने के लिए लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। देश में पानी का संकट है और पानी के संकट के कारण प्रकृति का विनाश शुरू हो गया है। इस अभियान के तहत कैचमेट एरिया को ठीक करना, जंगल का पहाड़ों की हरियाली और नदियों की पवित्रता इन दोनों मूल सिद्धांतों को जल साक्षरता के माध्यम से वर्तमान पीढ़ी और लोगों को समझने की जरूरत है। हम पानी के मामले में दुनिया के गुरु थे, हमने ही पानी के मामले में ग्लोबल टीचर की भूमिका निभाई थी और आज हम पानी को लेकर दूसरों की तरफ देख रहे हैं, जो शर्मनाक है। ऐसे में अब समय आ गया है कि सरकार इसे जन जागरण अभियान बनाकर जल संरक्षण के लिए कदम उठाए। कार्यशाला में स्कूली छात्रों को उन्होंने पानी बचाने और पर्यावरण संरक्षण के गुरु मंत्र सिखाए। उन्होंने अपने क्षेत्र गुजरात में सूखी नदियों को फिर से आबाद करने के अपने अनुभव भी साझा किए। उन्होंने स्कूल शिक्षकों से बच्चों को प्रकृति से प्यार करने और प्रदेश की हरियाली बचाए रखने के लिए प्रेरित करने और उन्हें इसका व्यावहारिक ज्ञान देने की भी बात कही।

बारिश का पानी बचाने का सुझाव

जल पुरुष ने कहा कि शिमला जैसे पहाड़ी क्षेत्र में अंग्रेजी हुकूमत उस जमाने में पहाड़ी पर्यटन स्थल पर पानी लाई थी तो अब इस पर्यटन नगरी में पानी का संकट क्यों है। उनका कहना था कि हम लोग तो अंग्रेजों से भी ज्यादा कुछ कर सकते हैं। उन्होंने उस दौर से नसीहत लेकर शिमला में बारिश के पानी को संरक्षित कर शिमला के जल स्रोतों के जल को बढ़ाने का सुझाव दिया।


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