आखिर बीसीसीआई चाहता क्या है
जस्टिस लोढा बोले, बोर्ड ने सिफारिशों की आत्मा ही कर दी खत्म
नई दिल्ली — न्यायाधीश आरएम लोढा ने कहा है कि वह इस बात से हैरान हैं कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीआई) ने उनकी सुझाई सबसे महत्त्वपूर्ण सिफारिशों को ही मानने से इनकार कर दिया है। बीसीसीआई ने अपनी विशेष आम बैठक(एसजीएम) में लोढा समिति की कुछ सिफारिशों को लेकर फिर से अपना अड़यिल रुख दिखाते हुए उन्हें मानने से इनकार कर दिया था। न्यायाधीश लोढा तथा सर्वाेच्च न्यायालय की समिति के अध्यक्ष ने बोर्ड के इस फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा कि मैं इस बात से हैरान हूं कि बीसीसीआई ने हमारी सुझाई सबसे महत्त्वपूर्ण सिफारिशों को ही मानने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि हमने बोर्ड में ढांचागत बदलावों के लिए जो सिफारिशें दी थीं उसमें से दिल, फेफड़े और गुर्दा ही निकाल लिया है। समिति ने एक व्यापक रिपोर्ट तैयार की थी, लेकिन उसके मुख्य अंशों को ही बाहर कर दिए जाने से इन सुधारात्मक कदमों का कोई मतलब नहीं रह जाता है। मुझे नहीं पता कि यह क्या हो रहा है। न्यायामूर्ति लोढा ने कहा कि जब सर्वाेच्च अदालत ने अपना फैसला सुना ही दिया है, तो इस पर विवेचना करने का कोई मतलब नहीं है। जब बोर्ड की सभी समीक्षा याचिकाओं को पहले ही खारिज किया जा चुका है, तो यह मेरे समझ से परे है कि फिर सिफारिशों में किसी बदलाव की क्या संभावना रह जाती है। न्यायमूर्ति लोढा ने आगे की स्थिति को लेकर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सर्वोच्च अदालत ही अब इस मामले में आगे कोई निर्णय करेगा क्योंकि अदालत ने लोढा समिति को केवल सिफारिशें तैयार करने का काम दिया था और समिति को इन सिफारिशों को लागू करने के लिए बीसीसीआई को बाध्य करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि बीसीसीआई कार्यकारी अधिकारियों के अधिकार, शीर्ष परिषद के आकार जैसे सुधारों से इनकार कर देता है।
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