आतंक की कब्रगाह बनेगा पाक!

By: Jul 7th, 2017 12:05 am

आतंकवाद के खिलाफ व्यापक संकल्प लिया भारत-इजरायल के प्रधानमंत्रियों ने, लेकिन हिजबुल आतंकी बुरहान वानी की बरसी पर जो रैली बर्मिंघम में की जानी थी, ब्रिटेन सरकार ने उसे रद्द कर दिया। यह भारत-इजरायल के संकल्प पर अंतरराष्ट्रीय सहमति की एक बानगी है। साझा घोषणा पत्र के बाद स्पष्ट हुआ है कि भारत-इजरायल आतंकवाद और आतंकियों से कैसे निपटेंगे। इस कार्रवाई के दायरे में आतंकियों को पालने-पोसने और पनाह देने वाले भी हैं। जो आतंकियों को पैसा और हथियार मुहैया कराते रहे हैं, वे भी दंडनीय हैं। घोषणा पत्र में इसका भी उल्लेख है कि आतंकियों के पास जनसंहारक हथियार नहीं पहुंचने चाहिएं। भारत के पीएम मोदी और इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू का साझा फोकस आतंकवाद पर रहा है, क्योंकि यह वैश्विक खतरा है और भारत इस संदर्भ में इजरायल की विशेषज्ञता का लाभ उठाना चाहता है। इजरायल एकमात्र ऐसा देश है, जिसने सद्दाम हुसैन के इराक में घुसकर परमाणु प्लांट ही ध्वस्त कर दिया था। लेबनान के खिलाफ जंग छेड़ दी और लेबनान को बर्बाद कर दिया। यह तो सभी जानते हैं कि 1971-72 के म्यूनिख ओलंपिक के दौरान इजरायल के 12 खिलाडि़यों को मार दिया गया था। उसके बाद बेशक 20 साल लगे, लेकिन इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने एक-एक हत्यारे का सुराग लगाया और अंततः सभी को मार दिया। आतंकवाद के संदर्भ में इजरायल की मानसिकता इतनी आक्रामक है। बहरहाल अभी यह तय नहीं है कि पाक परस्त आतंकवाद के चूहों और सपोलों के बिलों पर हमले कर उन्हें नेस्तनाबूद किया जाएगा या नहीं अथवा किसी और तरीके से उसे अंजाम दिया जाएगा, लेकिन पाकिस्तान की सांसें फूलने लगी हैं। पाकिस्तान में खलबली मची है। पाकिस्तान के मीडिया में भी भारत-इजरायल घोषणा पत्र की चर्चा हुई है, लेकिन बुनियादी और आममानस से जड़ा सवाल है कि पाकिस्तान आतंकवाद और आतंकियों की कब्रगाह बनेगा या नहीं? पाक के नापाक संगठनों और चेहरों के जनाजे निकलेंगे या नहीं? दरअसल करार के मुताबिक, जो अस्त्र और मिसाइलें इजरायल भारत को देगा, उनसे कराची में छिपे बैठे डॉन दाऊद इब्राहिम की रूह कांपने लगी होगी। हाफिज सईद, मक्की, मसूद अजहर, जकीउर रहमान लखवी और सलाहुद्दीन सरीखे आतंक के सरगना अपने-अपने बिल बदलने की सोच रहे होंगे, लेकिन इजरायल ने जो हथियार भारत को देने का समझौता किया है, उनके मद्देनजर अब 45 आतंकी अड्डों का ‘मिट्टी’ होना तय है। आतंक के सरगना कहीं भी छिप जाएं, अब उनका खेल खत्म होने को है। अब भारत-इजरायल की ‘स्वर्णिम दोस्ती’ उनके लिए कब्रगाह साबित होगी। पाकिस्तान को अब ताबूतों का बंदोबस्त कर लेना चाहिए। इस तरह एक जिज्ञासा सी पैदा होती है कि क्या अब पाकिस्तान से आतंकवाद का खात्मा हो जाएगा? उसके लिए भारत को इजरायल बनना पड़ेगा। इजरायल ऐसा देश है, जो तीन तरफ से दुश्मन, इस्लामिक देशों से घिरा है। हर रोज औसतन 13 मिसाइलों या रॉकटों से इजरायल पर हमले बोले जाते हैं। इजरायल की सैन्य क्षमता और तैयारी ऐसी है कि उन हमलों को रास्तों में ही निरस्त कर दिया जाता है। इजरायल पर कोई भी देश आतंकी हमला करने का दुस्साहस नहीं कर सकता। भारत के खिलाफ तो पाकिस्तान ने ही ‘छाया युद्ध’ छेड़ रखा है। यदि फिर भी भारत आक्रामक तौर से आतंकी अड्डों और आतंकियों पर हमला नहीं करता, तो फिसड्डी ही बना रहेगा। ऐसे देश का इजरायल भी क्या कर सकता है? हालांकि भारत-इजरायल ने सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। उनमें जल, कृषि, सिंचाई, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी से जुड़े समझौते हैं, लेकिन दोनों प्रधानमंत्रियों ने साझा तौर पर इस संकल्प की घोषणा की है कि वे आतंकवाद से साथ-साथ लड़ेंगे। ऐसे संकल्प अमरीका और रूस के राष्ट्राध्यक्षों ने भी भारत के साथ घोषित किए थे, लेकिन इजरायल का संदर्भ भिन्न है। उसके प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का मानना है कि यह दोस्ती स्वर्ग में बनाई गई है। इजरायल ने 70 लंबे सालों का इंतजार किया है कि भारत का प्रधानमंत्री उसकी जमीन पर आए। बेशक आकार में इजरायल हमारे मिजोरम राज्य से भी छोटा है, लेकिन उसकी सैन्य शक्तियां विलक्षण हैं। भारत उन शक्तियों को भी धारण कर लेना चाहता है। दोनों देशों के रिश्ते बहुविस्तारवादी साबित होंगे, भारतीय प्रधानमंत्री के प्रथम प्रवास  से ऐसी उम्मीदें जगनी चाहिएं, लेकिन भारत को अपना ‘शांतिदूत’ चेहरा खुरचना होगा।

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