कठघरे में कानून व्यवस्था
(संजय नौटियाल, कुफटाधार, शिमला )
शांति प्रिय व मेहनती कहे जाने वाले हिमाचल की छवि अब कलंकित होने लगी है। आए दिन प्रदेश में हो रही धांधलियां, गड़बड़झाले, फर्जीबाड़े, लूटपाट, नशाखोरी और महिलाओं से हो रहे दुराचार जैसे मामले चर्चा का विषय बनने लगे हैं। हाल ही में पेश आया बिटिया हत्या प्रकरण प्रदेश की कुछ ऐसी ही तस्वीर बयां कर रहा है। पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट जनता को अब कानून की दलीलें रास नहीं आ रही हैं, जिसने आज प्रदेश की कानून व्यवस्था को कठघरे में ला खड़ा किया है और न्याय का गला घुटते देख स्वयं इसके विरोध में सड़कों पर उतर आई है। राजधानी शिमला सहित अन्य जिलों में विरोध प्रदर्शन, चक्का जाम, बाजार बंद, प्रदर्शन, थानों में पथराव, आगजनी और तबादलों का सिलसिला शुरू हो गया है। प्रदेश का हर वर्ग सोशल मीडिया, टीवी चैनलों और समाचार पत्रों में पीडि़ता के लिए न्याय मांग रहा है। इस सारे प्रकरण में की गूंज नेशनल न्यूज चैनल से लेकर संसद में भी खूब सुनाई देने लगी है। इस पूरे प्रकरण से देवभूमि शर्मसार हो गई है। दुखद पहलू यह है कि हत्या जैसी अपराधिक घटनाओं में पहले जहां बाहरी लोगों की संलिप्तता अधिक होती थी, वहीं अब प्रदेश की ही युवा पीढ़ी ही नशे में अंधा होकर ऐसी वारदातों को अंजाम देने लगी है। हैरानी तब होती है, जब स्वयं प्रदेश की कानून व्यवस्था इस पर पर्दा डालने की कोशिश करे। कारण चाहे जो भी हों, लेकिन एक बात स्पष्ट हो गई है कि इस प्रकरण से प्रदेश के लोगों में कानून के प्रति विश्वास को गहरी ठेस लगी है।
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