गुरु के मार्ग पर चलने की सीख

By: Jul 10th, 2017 12:05 am

पालमपुर —  गोबिंद जीवन आश्रम परौर में गुरु पूजा का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इसमें मुख्य स्वामी प्रकाशानंद ने लोगों को प्रवचन करते हुए कहा कि इस दिन व्यास जी ने अपने गुरु की पूजा की थी और इसे व्यास पूजा के नाम से जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु और ज्ञान पृथक नहीं हैं, दोनों एक ही हैं। इसी को ही ग्रहण करना होता है, इसलिए इसको इतना महत्त्व दिया जाता है।  सहजोवाई कहती है कि भगवान ने इस संसार में जन्म दिया है, लेकिन गुरु ने आवगमन के चक्कर से छुड़ा दिया है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी गुरु तत्त्व की महिमा नहीं गा सकते हैं, जो परमार्थ का तत्त्व समझाते हैं, वे दुखों से छुड़ाने का कार्य बताते हैं और उन्हें सद्गुरु कहते हैं।  संत्सग में बैठना एक बात है, लेकिन संत्सग हमारे अंदर बैठ जाए, वह अलग बात है, इसलिए हमारे जीवन में परिवर्तन नहीं होता है और सत्संग हमारे अंदर में नहीं बैठ पाता है। स्वामी प्रकाशानंद ने कहा कि सत्संग से समझ आता है कि हम किसके लिए जी रहे हैं। जड़ या चेतन के लिए। शरीर के साथ सुख व दुख होता है, वह उपाधि है, जबकि शरीर को जो चोट लगती है, उसे व्याधि कहते हैं। यह आदि और व्याधि हमें परमात्मा से दूर करते हैं।

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