चिंताजनक है महिलाओं के प्रति बढ़ता अपराध

By: Jul 21st, 2017 12:02 am

विजय शर्मा

लेखक, हमीरपुर से हैं

जब हिमाचल का जिक्र होता है, यहां के निवासियों की एक ईमानदार, कर्त्तव्यनिष्ठ, संस्कारी और निरपराध की छवि बनती है। पिछले एक दशक में हालात तेजी से बदले हैं और कोटखाई प्रकरण उसकी एक बानगी भर है, जिसमें एक अबोध नाबालिग से दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई…

हिमाचल जैसे शांत राज्य में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध इसकी देवभूमि की छवि को शर्मसार कर रहे हैं। महिला सुरक्षा के मामले में हिमाचल प्रदेश को सबसे सुरक्षित राज्य माना जाता था और यहां पर्यटक बेधड़क व बिना किसी शंका के आते थे। प्रदेश के बाहरी राज्यों में जब हिमाचल भी जिक्र होता है, तो यहां के निवासियों की एक ईमानदार, कर्त्तव्यनिष्ठ, संस्कारी और निरपराध की छवि बनती है। पिछले एक दशक में हालात तेजी से बदले हैं और कोटखाई प्रकरण उसकी एक बानगी भर है, जिसमें एक अबोध नाबालिग से दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। इस हत्या के बाद पूरा प्रदेश आंदोलित है, लेकिन अपराधी पुलिस की पहुंच से दूर हैं। पुलिस का विश्लेषण रहता है कि महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में ज्यादातर सगे संबंधी, रिश्तेदार या जान-पहचान वाले होते हैं। एक तरह से इस प्रकार के अपराध विश्वासघात के कारण होते हैं। कोटखाई प्रकरण में भी इसी प्रकार की शंका जाहिर की जा रही है कि अपराधी जान-पहचान वाले रहे होंगे। जिस वहशीपन से उन्होंने अपराध को अंजाम दिया, उसमें पहचाने जाने और उसके बाद मिलने वाली सजा के डर से उस बिटिया की हत्या कर दी हो। जांच के बाद सब साफ हो जाएगा और जो भी दोषी होंगे, निःसंदेह वे पहचाने भी जाएंगे और सजा भी होगी लेकिन पुलिस को महिला सुरक्षा के प्रति संवेदनशीलता और कठोरता दिखानी होगी। पिछले एक दशक में महिला अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 में हिमाचल में महिला अपराध के कुल 1517 मामले सामने आए थे, जिनमें 283 मामले दुष्कर्म के थे। दुष्कर्म के मामलों में चौकाने वाली बात यह है कि इनमें 24 मामले ऐसे थे, जिनमें घर के ही सदस्यों की संलिप्तता पाई गई।

घर के सदस्यों द्वारा जिन महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया गया, उनमें 10 लड़कियां 16 से 18 आयु वर्ग की थीं। इसी तरह 12 से 16 साल की आठ किशोरियों और छह से 12 वर्ष की तीन मासूम लड़कियों का यौन शोषण भी घर के सदस्यों या रिश्तेदारों द्वारा किया गया। छह साल से कम आयु की एक बच्ची भी अपनों का ही शिकार बनी थी। इसी प्रकार 49 मामलों में पड़ोसियों ने ही महिलाओं को अपना निशाना बनाते हुए बलात्कार किया। इसी प्रकार 16 मामलों में रिश्तेदार ही आरोपी पाए गए थे। इसी प्रकार नौ महिलाओं के साथ कार्यालय के सहयोगियों ने ही दुष्कर्म किया। हिमाचल महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता था, लेकिन आज हालत यह हो गई है  कि बलात्कार, छेड़छाड़ जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। हिमाचल में हर साल लगभग 250 के आसपास बलात्कार के मामले सामने आ रहे हैं। हिमाचल में दुष्कर्म की सबसे ज्यादा वारादातें शिमला,  कांगड़ा, मंडी व चंबा में हो रही हैं। पुलिस विभाग के आंकड़ों के अनुसार बीते एक साल में राज्य में दुष्कर्म की करीब 250 वारदातें सामने आई हैं। इनमें सबसे ज्यादा 41 मामले कांगड़ा जिला में दर्ज हुए हैं। वहीं सिरमौर 34 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर, मंडी 30 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर और शिमला 28 मामलों के साथ पर चौथे स्थान पर रहा है। चंबा में 25, कुल्लू में17, ऊना व बिलासपुर में 15-15 मामले दर्ज किए गए हैं।

वहीं हमीरपुर व सोलन में 13-13, जबकि लाहुल-स्पीति में एक मामला दर्ज हुआ है। राज्य महिला आयोग को अनुसार वर्ष 2015 में महिला हत्या के 25, दुष्कर्म के 244, दहेज हत्या के तीन, अपहरण के 243, छेड़छाड़ के 433, मारपीट के 226 मामले दर्ज हुए हैं। महिलाओं के खिलाफ मारपीट व अन्य क्रूरता के मामलों में गिरावट आई है, मगर दुष्कर्म व हत्या जैसे मामले कम नहीं हुए हैं। महिलाओं के साथ बढ़ रही आपराधिक गतिविधियों में अपने सगे संबंधियों की भूमिका अधिक है। राज्य पुलिस विभाग द्वारा किए गए सर्वे में भी इसका खुलासा हुआ है। महिलाओं व बच्चों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकल रहा है। प्रदेश में महिला अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार द्वारा कुल्लू, बद्दी, शिमला, धर्मशाला और मंडी में महिला पुलिस स्टेशन स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा महिला अपराध से निपटने के लिए महिला त्वरित बल का भी गठन किया गया है। एसएमएस और पुलिस वेब पोर्टल के माध्यम से भी पुलिस में घर बैठे शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है। बावजूद इसके महिला अपराधों में कमी नहीं आई है। महिलाओं के प्रति अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को अधिक संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई के साथ कठोरता भी दिखानी होगी।

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