नयनादेवी के सर्वे में लगेंगे आठ लाख

By: Jul 31st, 2017 12:15 am

मंदिर के पीछे दरक रही पहाड़ी के सर्वेक्षण को आईआईटी रुड़की के इंजीनियरों ने रखी मांग

newsबिलासपुर —  उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नयनादेवी मंदिर के पीछे पहाड़ी से गिर रहे पत्थरों और धीरे-धीरे धंस रही जमीन का अब जल्द ही स्थायी तौर पर समाधान होगा। इस बाबत मंदिर न्यास प्रशासन के आग्रह पर आईआईटी रुड़की के इंजीनियरों ने जायजा लेने के बाद रिपोर्ट तैयार कर प्रशासन को प्रेषित कर दी है, जिसके तहत उस ओर से मंदिर के पीछे तीनों ओर पहाड़ी की ग्रेटिंग किए जाने को लेकर सर्वेक्षण कार्य के लिए आठ लाख रुपए की मांग की गई है। सर्वे रिपोर्ट तैयार होने के बाद पुरातत्त्व विभाग की अप्रूवल पर ही आगामी कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जा सकेगा।  पहाड़ी से पानी के लगातार रिसाव को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने ग्रेटिंग करवाने का जिम्मा आईआईटी रुड़की को सौंपा है। दो तकनीकी एक्सपर्ट्स ने बारीकी से मंदिर के पीछे धंस रही जमीन का जायजा लिया और अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की, जिसे मंदिर न्यास प्रशासन के सुपुर्द कर दिया गया है। पहाड़ी की तकनीकी ढंग से ग्रेटिंग किए जाने को लेकर सर्वेक्षण किया जाएगा और इस कार्य के लिए आठ लाख रुपए की मांग की गई है। सर्वे के आधार पर ही पहाड़ी की ग्रेटिंग को लेकर अगली कार्य योजना तैयार की जा सकेगी। सर्वे रिपोर्ट पर पुरातत्त्व विभाग की सहमति मिलने पर ही न्यास प्रशासन पहाड़ी की ग्रेटिंग किए जाने को लेकर आगामी कार्य योजना को अंतिम रूप दे पाएगा। फिलहाल मंदिर न्यास का ध्यान इस समय सर्वेक्षण पर है। मंदिर अधिकारी मदनलाल चंदेल का कहना है कि नयनादेवी मंदिर के पीछे की पहाड़ी की ग्रेटिंग के लिए आईआईटी रुड़की के तकनीकी एक्सपर्ट्स की राय ली गई है और उस ओर से जायजा लेने के बाद सर्वेक्षण कार्य के लिए आठ लाख रुपए मांगे गए हैं। श्रावण अष्टमी मेलों के समापन के बाद ही इस बाबत निर्णय लिया जाएगा। पहाड़ी की ग्रेटिंग करवाने के लिए मंदिर न्यास प्रशासन गंभीर है।

दोनों के आने-जाने का खर्चा ही सवा लाख

सूत्रों का कहना है कि आईआईटी रुड़की के इंजीनियर सर्वे के लिए ज्यादा पैसा मांग रहे हैं, जिस पर मंदिर न्यास प्रशासन विचार कर रहा है कि रुड़की के इंजीनियर से सर्वे करवाया जाए या फिर किसी और एजेंसी से? इसके साथ ही दोनों इंजीनियर के नयनदेवी आने-जाने का खर्चा ही सवा लाख रुपए आया है और अब सर्वे के लिए आठ लाख रुपए मांग रहे हैं। ऐसे में मंदिर न्यास प्रशासन अब गहनता से विचार-विमर्श के बाद सर्वेक्षण के लिए कवायद शुरू करेगा।

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