बिटिया के नाम पर स्कूल का नामकरण सरकार की बड़ी भूल

By: Jul 24th, 2017 12:01 am

शिमला —  प्रदेश सरकार द्वारा बिटिया के स्कूल का नाम उसके असली नाम पर रखने के आदेशों पर नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने तल्खी दिखाई है। उन्होंने कहा कि एक तो पहले से सरकार इस मामले को लेकर गंभीर नहीं है, उस पर अब नामकरण करके वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना कर रही है। कुसुम्पटी में दलित स्वाभिमान सम्मेलन में श्री धूमल ने कहा कि यदि सरकार संवेदनशील होती तो जन आंदोलन इतना नहीं भड़कता।  मामले में सरकार ने एक के बाद एक गलती की है और इस कड़ी में ताजा गलती पीडि़ता के मूल नाम पर स्कूल का नामकरण करने की है। छात्रा के असली नाम से स्कूल का नामकरण नहीं हो सकता है। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के विपरीत है। उनका कहना था कि यदि पीडि़ता के असली नाम पर स्कूल का नामकरण होगा तो यह कानून के खिलाफ  होगा और इसमें दोषियों को सिर्फ दो साल की सजा हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी में संशोधन कर साफ किया है कि पीडि़ता के नाम को जगजाहिर नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार पहले से ही राजनीतिक स्वार्थों के चलते स्कूल खोल रही है। सरकार चिंतित होती तो पहले से यह स्कूल अपग्रेड कर दिया होता। इस मामले में किसी भी तरह से राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में आरोपी की मौत जेल के अंदर हुई या बाहर, इसे लेकर भी सवाल हैं। उसे दूसरे अभियुक्त के साथ क्यों रखा गया था, यह भी जांच का विषय है। ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब जनता चाहती है और अब सीबीआई इसे साफ करेगी। न्यू शिमला में दलित स्वाभिमान सम्मेलन में श्री धूमल ने कहा कि छात्रा हत्याकांड जैसे संवेदनशील मामले में सरकार और पुलिस को सचेत रहना चाहिए था, लेकिन हुआ इसके उलट। इससे सीधे-सीधे यह प्रभाव गया कि सरकार दोषियों को बचा रही है।

मोदी राज में सब बराबर

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि भाजपा सभी वर्गों को साथ लेकर चलने वाली पार्टी है। इसके तहत पार्टी सभी विधानसभा हलकों में दलित स्वाभिमान सम्मेलन आयोजित कर रही है। उनका कहना था कि पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद यह बीड़ा उठाया है और उन्होंने अपने से ऊपर की कुर्सी पर एक दलित को बिठाया है।

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