भाजपाई रथ की राह और राही

By: Jul 1st, 2017 12:02 am

भाजपा के रथ ने हालांकि कांग्रेस के सारे रास्तों के दलदल पर चढ़ाई शुरू कर दी है, लेकिन यह सफर इतना भी आसान नहीं कि कोई अड़चन न रहे। खास तौर पर आंतरिक कलह से मजबूर हिमाचल भाजपा को अपनी रथ यात्रा की दिशा जिस प्रकार बदलनी पड़ी उससे यह स्पष्ट हो रहा है कि पार्टी के भीतर नेतृत्व के टुकड़े बिखरे हैं। ऐसे में टिकट आबंटन की मुहिम में ये यात्राएं काफिला तो बढ़ा रही हैं, लेकिन मंजिल पर पहुंचने का जुनून आपसी टकराव का प्रत्यक्ष गवाह बन रहा है। रथ यात्रा की अड़चनें हालांकि कांगड़ा में आकर बढ़ीं, लेकिन मनोहर धीमान का पुनः पार्टी में लौटना और राकेश पठानिया का मुख्यधारा में दिखना एक खास तपके को उत्साहित करता है। उत्साह के रथ पर भाजपा का आरोहण यूं तो कांग्रेसी महल के कई शीशे तोड़ चुका है, फिर भी पार्टी के भीतरी पथराव की आहें और बाहें समेटने की आवश्यकता है। यकीनन हिमाचल भाजपा जल्दी में है और इसके पास कांग्रेस के खिलाफ जितना बारूद है, उसे पूरी तरह बिछाने की चिंता भी, क्योंकि बरसाती दौर में मोर्चे भी तो गीले हो जाएंगे। ऐसे में रथ यात्राओं के खिलाफ कांग्रेसी चुनौतियों का आलम न राज्य और न ही आलाकमान के पास दिखाई दे रहा है। भाजपा के पास ऊर्जावान चेहरे, केंद्रीय मंत्रियों का फौलाद और पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों का साथ दिखाई दे रहा है, तो हिमाचल कांग्रेस अपनी सरकार से निपट कर रणनीति बनाना भूल गई है। हिमाचल सरकार के पास रथ तो  नहीं, लेकिन घोषणाओं की सेज पर बिखरी महत्त्वाकांक्षा अवश्य ही दिखाई दे रही है। इसी बीच मानसून सत्र का सामना और सामने रथ की उद्घोषणाएं बढ़ती जा रही हैं। भाजपा के सोशल मीडिया के प्रचार और मोबाइल संदेशों के आगे कांग्रेस की तैयारी अभी किसी मोर्चे पर नहीं है, अलबत्ता कुछ नेताओं ने अपने प्रभाव का कुनबा जरूर बरकरार रखा है। भाजपा का मकसद सरकार को घेरना और कांग्रेस पार्टी को परेशान करना है तथा इस जिम्मेदारी की नाबाद पारी का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को सबसे अधिक जाएगा, जबकि पार्टी के सरदार सत्ती का राजनीतिक जाल लगातार घना होता गया है। जगत प्रकाश नड्डा यूं तो पहले अपने मंत्रालय के वेश में ही दिखाई देते थे, लेकिन अब उन पर भी पार्टी का नूर आ रहा है, जबकि वरिष्ठता की मशाल थामे शांता कुमार की सक्रियता लाजवाब है। बेशक भाजपा का कार्यकर्ता अपनी मौजूदगी और शुमारी में कांग्रेस पर भारी है, लेकिन समय पूर्व की गई वर्जिश और दांव अगर थकान में चले गए तो पार्टी को अपने इस उत्साह को बचाने की चुनौती रहेगी। असली मनोबल तो उस कार्यकर्ता व प्रशंसक का ही जीतेगा, जो फिलहाल मात्रात्मक हैसियत से रथ यात्राओं का समर्थन कर रहा है। यही कार्यकर्ता कमोबेश हर नेता का स्वागत और पार्टी की आवाज बुलंद कर रहा है, तो क्या लगातार परिश्रमी बने रहने से यह वर्ग कभी पीछे नहीं मुड़ेगा। कम से कम जीएसटी की कंदराओं से निकलती असमंजस और पार्टी टिकट आबंटन की टेंशन के कारण आधुनिक भाजपा को रथ यात्रा पूरी तरह समझा नहीं पा रही। राष्ट्रव्यापी बाजारबंदी के बीच पार्टी कार्यकर्ता के भविष्य का प्रश्न मौजूदा रथ यात्रा से दूर खड़ा है। वहां वह पार्टी के बजाय अपना किनारा ढूंढ रहा है। हो सकता है कि नोटबंदी की तरह जीएसटी की धुन भाजपा समर्थकों को रास आ जाए और उनके सिकुड़े हाथ जोरदार ताली बजा दें, लेकिन रथ यात्राओं के ऐसे पड़ाव पर प्रश्न चुनने का अवसर बढ़ जाता है। क्योंकि एक साथ कई जगहों को छू रही रथ यात्रा के सारथी भी अलग-अलग दिखाई दे रहे हैं, तो प्रश्न उस आसन के इर्द-गिर्द भी मंडरा रहा है, जिस पर अमूमन हिमाचल में भाजपा की हस्ती को देखा जाता था। ऐसे में स्वाभाविक तौर पर मीडिया को हर रथ के पीछे उड़ रही धूल में, बनती-बिगड़ती आकृतियों का अनिश्चिय समझना होगा। इसमें दो राय नहीं कि आज अगर भाजपा का काफिला लंबा है, तो केंद्रीय वर्चस्व की पार्टी का यह अपना अद्भुत नूर है, लेकिन हिमाचली प्रश्नों का हल पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के वजूद से अलहदा भी तो नहीं। बहरहाल इस शोर के बीच कांगड़ा के बीच घूम रहे रथ के पहिए कई विधानसभा क्षेत्रों में अटके-चटके, तो सामने सियासी धौलाधार के अंचल में बिलख रही आशाओं को भी समझना होगा। भले ही पार्टी दावे कर रही है और वैज्ञानिक सर्वेक्षणों से मानवीय महत्त्वाकांक्षा पर काबू पाने की तकरीर लिख रही हो, लेकिन कांगड़ा के दामन में भाजपा के दाग धुले नहीं हैं। रथ यात्रा के सामने ‘गो बैक’ की नारेबाजी और तंबुओं में बंट रही सियासी खीर का एक जैसा स्वाद कैसे होगा। पिछली बार सत्ता से बिछुड़ने का मलाल इसी धरती पर हुआ था और यह आज भी मुंह बाए खड़ा है। कमोबेश अपने राजनीतिक समीकरणों में भाजपा को कांगड़ा के प्रति समझ के दरवाजे इतने बड़े तो करने ही पड़ेंगे, ताकि रथ यात्रा पर सवार नीचे धरती को भी भांप सकें। फिलहाल जो करवटें दिखाई दे रही हैं, उनसे हटकर भी एक ऐसा परिदृश्य छिपा है जिसे पार्टी अपनी चांदनी के बजाय, कार्यकर्ताओं के हिसाब से देखे।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App