‘मिशन कश्मीर’ कामयाबी की ओर
अब आभास होने लगा है कि आतंकियों के खिलाफ ‘मिशन कश्मीर’ और ‘आपरेशन ऑलआउट’ की रणनीति कामयाबी के रंग दिखाने लगी है। करीब पांच सप्ताह के अंतराल में 50 आतंकियों को ढेर किया गया है। लश्कर-ए-तोएबा के स्थानीय सरगना बशीर अहमद वानी को भी मौत की नींद सुला दिया गया है। मुठभेड़ के दौरान उसकी स्थिति चूहे की तरह हो गई थी। उसने आतंक के कई अड्डों का खुलासा भी किया। सुरक्षा बलों ने बाकायदा उन लम्हों का वीडियो तैयार किया है। बशीर पर 12 लाख रुपए का इनाम घोषित था। उसने उन आतंकियों का नेतृत्व किया था, जिन्होंने 16 जून को अनंतनाग के एक इलाके में पुलिस बल पर हमला कर एसएचओ फिरोज डार समेत छह पुलिसवालों को ‘शहीद’ किया था। उस बर्बर हमले का बदला लेने में सिर्फ दो सप्ताह ही लगे। अब हिजबुल मुजाहिदीन के बुरहान वानी के बाद सब्जार अहमद, जुनैद मट्टू और बशीर वानी लश्कर-ए-तोएबा के कश्मीर घाटी कमांडरों को मार दिया गया है। सामान्य आतंकी अलग हैं। फिर भी हिजबुल के मुखिया ‘वैश्विक आतंकी’ सैयद सलाहुद्दीन का दुस्साहस देखिए कि उसने कश्मीर में जेहाद जारी रखने का ऐलान किया है। अमरीका ने उसे ‘वैश्विक आतंकी’ क्या घोषित किया कि वह तिलमिलाया हुआ है। कश्मीर घाटी में आठ जुलाई को बुरहान वानी की बरसी मनाने की तैयारियां चल रही थीं, लेकिन सेना, सुरक्षा बल और पुलिस ने आतंकियों को ढेर कर उनकी तमाम साजिशों को ध्वस्त कर दिया। बेशक ये हमारे सैनिकों, जवानों और सिपाहियों की साझा जांबाजी है कि आतंकियों के घुटने तोड़ दिए गए हैं। अब निशाने पर सलाहुद्दीन होना चाहिए। वह पीओके के मुजफ्फराबाद में रहता है, लेकिन पाकिस्तान में भी सक्रिय है। बेशक एक और सर्जिकल स्ट्राइक की जाए या कोई हवाई, मिसाइल हमला किया जाए, लेकिन सलाहुद्दीन को भी खत्म किया जाए। इससे पाकपरस्त आतंकी साजिशकारों को बेहद तगड़ा झटका लगेगा। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और फौज भी एकबारगी स्तब्ध हो जाएंगी, क्योंकि कश्मीर में अभी सलाहुद्दीन के मुजाहिदीन ही ज्यादा सक्रिय हैं। आतंकियों की कुल संख्या 250 के आसपास बताई जाती है। सलाहुद्दीन को चित किया गया, तो हमारी सेना, सुरक्षा बलों और पुलिसवालों का ‘मिशन कश्मीर’ और ‘आपरेशन ऑलआउट’ दोनों ही कुछ हद तक कामयाब साबित होंगे। पूरी कामयाबी तब मानी जाएगी, जब हमारे ‘जन्नत’ की जमीन और फिजाएं, हत्यारे और जल्लाद आतंकियों से, औसतन ‘मुक्त’ हो जाएंगी। सरकार और सुरक्षा बलों द्वारा बाकायदा इसका ऐलान किया जाएगा। लेकिन इसके मद्देनजर पाकिस्तान को ‘आतंकी राष्ट्र’ घोषित करना पड़ेगा। दक्षिण और पश्चिम एशिया के देशों से लेकर यूरोपीय देशों तक जो आतंकी हमले किए गए हैं, उनमें पाकिस्तान की भूमिका साबित हो चुकी है। पाकिस्तान हाफिज सईद, मसूद अजहर, सलाहुद्दीन सरीखे आतंकियों को पाल रहा है और पनाह भी दिए हुए है। जब तक पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करके इसके खिलाफ निर्णायक कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक ‘आतंकमुक्त’ कश्मीर की कल्पना करना भी बेमानी है। बेशक सेना और सुरक्षा बल अपने आपरेशन और मिशन में कामयाब दिख रहे हैं, लेकिन यह भी हकीकत है कि आज भी पत्थरबाज सक्रिय हैं और वे आतंकियों की ढाल बने हुए हैं। बुरहान वानी की मौत के बाद नौजबान आतंकी बन रहे हैं, यह सच्चाई भी सामने है। ऐसा रहते हुए कश्मीर फिर से ‘जन्नत’ नहीं बन सकता।
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